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प्रॉपर्टी खरीदते वक्त स्टैंप ड्यूटी के बारे में ये 10 बातें जानना आपके लिए बेहद जरूरी हैं

May 01 2024   |   Sunita Mishra

जब आप कोई प्रॉपर्टी खरीदते हैं तो उसमें काफी पेपर वर्क शामिल होता है। इस दौरान ग्राहकों को प्रॉपर्टी की खरीद पर स्टैंप ड्यूटी का भुगतान करना पड़ता है। इस प्रक्रिया में पैसा भी खर्च होता है। आखिरकार ये कागजात ही सबूत होते हैं कि आप ही प्रॉपर्टी के असली मालिक हैं। बैनामा प्रक्रिया शुरू होने के बाद इंडियन स्टैंप ड्यूटी एक्ट 1899 के सेक्शन 3 के तहत ग्राहकों को एक बार रजिस्ट्रेशन चार्ज और स्टैंप ड्यूटी चुकानी होती है। इस प्रक्रिया को बेहतर तरीके से समझने के लिए प्रोपगाइड आपको स्टैंप ड्यूटी चार्जेज के 10 पहलुओं के बारे में बता रहा है, जिसे हर ग्राहक के लिए जानना जरूरी है।

 स्टैंप ड्यूटी रेट: देश के विभिन्न राज्यों में स्टैंप ड्यूटी का रेट अलग है, जो करीब 4 से 10 प्रतिशत के बीच है। दूसरी ओर सभी राज्यों में रजिस्ट्रेशन फीस 1 प्रतिशत है।

स्टैंप ड्यूटी न चुकाने पर पेनाल्टी: इंडियन स्टैंप ड्यूटी एक्ट 1899 के सेक्शन 3 के मुताबिक स्टैंप ड्यूटी एक बार चुकानी होती है। अगर ग्राहक इस फीस को नहीं चुकाते तो प्रति माह की बकाया राशि के दो प्रतिशत के जुर्माने के साथ उन्हें बकाया राशि का भुगतान करना होगा। यह जुर्माना मूल राशि के 200 प्रतिशत तक जा सकता है।

महिलाओं को छूट:  इस प्रक्रिया में अगर प्रॉपर्टी का मालिक महिलाओं को बनाया जाता है तो स्टैंप ड्यूटी के चार्ज कम हो जाते हैं। कई राज्यों में एेसा होता है कि अगर प्रॉपर्टी के कागजात औरत के नाम पर हैं तो फीस 2 प्रतिशत तक कम हो जाती है। अगर बात राजधानी दिल्ली की करें तो यहां महिला ग्राहकों के लिए स्टैंप ड्यूटी चार्ज चार प्रतिशत है। लेकिन अगर प्रॉपर्टी पुरुष के नाम पर लेनी है तो 6 प्रतिशत चार्ज चुकाना होगा।

अपार्टमेंट खरीदने की स्टैंप ड्यूटी:  अगर आपने कोई अपार्टमेंट खरीदा है तो स्टैंप ड्यूटी चार्ज इस बात पर निर्भर करेगा कि आपका प्रॉपर्टी में निजी शेयर कितना है। उदाहरण के तौर पर अगर कोई प्रोजेक्ट 50 हजार स्क्वेयर फुट जमीन पर बना है और उसी साइज के अपार्टमेंट 10 लोगों को बेचे गए हैं तो हर एक को 5000 स्क्वेयर फुट के लिए स्टैंप ड्यूटी देनी होगी।   

कानूनन सबूत: अगर आप किसी विवाद में फंसते हैं तो स्टैंप ड्यूटी के कागजात कानूनी सबूत बन जाते हैं कि आप ही प्रॉपर्टी के मालिक हैं। आपके लिए यह जानना भी जरूरी है कि प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के कागजात कानूनी सबूत नहीं माने जाते। यह भी एक कारण है कि कई ग्राहक प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन का काम ठंडे बस्ते में डाल देते हैं। अगर आपने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है और आप भविष्य में प्रॉपर्टी बेचने पर विचार करते हैं, तो इसमें मुश्किलें आ सकती हैं।

राज्य का विषय: यूं तो इंडियन स्टैंप ड्यूटी एक्ट 1899 एक केंद्रीय कानून है, लेकिन स्टैंप ड्यूटी की फीस राज्यों के खातों में जाती है, जोकि उनके राजस्व के लिए बेहद अहम है। इतना ही नहीं, राज्यों के पास यह संविधानिक अधिकार है कि वह इस कानून में कोई भी बदलाव कर अपने नियम इसमें जोड़ सकते हैं। स्टैंप ड्यूटी फीस हर राज्य में अलग-अलग है। इतना ही नहीं, यह हर इलाके में भी अलग हो सकती है। महाराष्ट्र में बॉम्बे स्टैंप एक्ट 1958 है, जिसके तहत स्टैंप ड्यूटी और राज्य में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन होती है। वहीं गुजरात, कर्नाटक, केरल, राजस्थान और तमिलनाडु में भी अपने स्टैंप ड्यूटी कानून हैं।

बहुत ज्यादा रेट्स? : भारत में ग्राहक प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन का काम इसलिए नहीं कराते, क्योंकि स्टैंप ड्यूटी के रेट्स काफी ज्यादा हैं। यह सरकार के राजस्व को बुरी तरह नुकसान पहुंचाता है। साथ ही यह एक कारण भी है कि प्रॉपर्टी ट्रांजेक्शन रिकॉर्ड बुरी स्थिति में क्यों हैं। अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत में स्टैंप ड्यूटी फीस काफी ज्यादा है। वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक फिलीपींस और वियतनाम में स्टैंप ड्यूटी चार्जेज एक से दो प्रतिशत के बीत हैं।

अॉनलाइन स्टैंप ड्यूटी का भुगतान: प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन और स्टैंप ड्यूटी के भुगतान को आसान करने के लिए महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने इंटरनेट के जरिए भी इसके भुगतान की सुविधा की है। हालिया वर्षों में कई राज्यों ने अपनी दरें कम की हैं, ताकि प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा मिल सके।

कम आय वालों के लिए होम लोन की योग्यता: पहले स्टैंप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज में बैंकों का कोई किरदार नहीं था। इस वजह से घर खरीदने वालों को इसे चुकाने के लिए अपनी ही बचत का सहारा लेना पड़ता था। लेकिन साल 2015 में रिजर्व बैंक अॉफ इंडिया ने बैंकों को निर्देश दिए कि वह 10 लाख रुपये तक की कीमत वाली प्रॉपर्टी में ग्राहक की लोन योग्यता की गणना करते हुए स्टैंप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस को शामिल करे। इसका मकसद कम आय और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को घर खरीदने के लिए बढ़ावा देना था। अब बैंक स्टैंप ड्यूटी और डॉक्युमेंट्स से जुड़े अन्य चार्ज ग्राहक की लोन टू वैल्यू रेश्यो (एलटीवी) की गणना करते हुए घर की कुल कीमत में शामिल कर लेते हैं। एलटीवी प्रॉपर्टी की कीमत और लोन की राशि का अनुपात होती है।

होम लोन अग्रीमेंट पर स्टैंप ड्यूटी: अगर आपने प्रॉपर्टी खरीदने के लिए होम लोन लिया है तो भी आपको स्टैंप ड्यूटी चुकानी होगी। आपको बैंक के पास अपने प्रॉपर्टी के कागजात जमा कराने के अलावा एक अंडरटेकिंग भी देनी होगी, जिसमें लिखा होगा कि लोन लेने के लिए आप अपनी मर्जी से कागजात जमा करा रहे हैं। यह अंडरटेकिंग रजिस्टर्ड है और होम लोन की राशि का 0.1-0.2 प्रतिशत इस पर स्टैंप ड्यूटी के रूप में लगाया जाता है।




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