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एेसी होगी मुंबई-अहमदाबाद के बीच चलने वाली बुलेट ट्रेन, जानिए कितनी होगी स्पीड और किराया

September 25 2020   |   Surbhi Gupta
लंबे समय से जिस घड़ी का सबको इंतजार था, उसने मंजिल की ओर पहला कदम बढ़ा दिया है। मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने 14 सितंबर, 2017 को शिलान्यास किया। बुलेट ट्रेन चीन, जापान, जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों में काफी पहले से चल रही है और अब इसने भारत की ओर भी कदम बढ़ा दिए हैं। यह भारत में अपनी तरह का पहला रेलवे सिस्टम होगा, जो शिन्कान्सेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा। इसे संयुक्त रूप से जापान के सहयोग से बनाया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के पूरे होने की डेडलाइन 15 अगस्त 2022 रखी गई है, जो भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ होगी। इस पूरे प्रोजेक्ट में 1.08 लाख करोड़ यानी 17 बिलियन डॉलर की लागत आएगी। यह ट्रेन कॉरिडोर सिर्फ मुंबई और अहमदाबाद के बीच दूरी और समय को ही कम नहीं करेगा, बल्कि दोनों वित्तीय केंद्रों की अर्थव्यस्थाओं को नई ऊंचाईयों तक पहुंचाएगा। आइए आपको इस प्रोजेक्ट की हर जानकारी से रूबरू कराते हैं: ग्राउंड वर्क: ये हाई स्पीड रेल कॉरिडोर (HSR) 508 किलोमीटर लंबा होगा। इसका 21 किलोमीटर हिस्सा अंडर ग्राउंड और 7 किलोमीटर समुद्र के अंदर होगा। इससे विरार और ठाणे आपस में जुड़ेंगे। इस प्रोजेक्ट के लिए अनुमानित 825 हेक्टेयर भूमि की जरूरत होगी। वहीं पानी के अंदर जो सुरंग बनेगी, वह यात्रियों के लिए किसी रोमांच से कम नहीं होगी। इस प्रोजेक्ट पर नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन काम करेगी। जापान इस प्रोजेक्ट की लागत का 80 प्रतिशत हिस्सा वहन करेगा। जापान ने बुलेट ट्रेन बनाने के लिए भारत को 50 वर्ष के लिए रु 88000 करोड़ देगा। इसके लिए भारतीय रेलवे और जापान इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी (JICA) के साथ एक लोन अग्रीमेंट पर दस्तखत करेगा। यह एक सॉफ्ट लोन है, जो जापान ने सिर्फ 0.1 प्रतिशत की सालाना ब्याज दर पर 15 वर्ष के ग्रेस पीरियड (छूट अवधि) के साथ दिया है। -पर्यावरण पर होने वाले प्रभाव (ईआईए) , ड्रिलिंग एक्टिविटी और सामाजिक अध्ययन का काम भारतीय रेलवे करेगी। जबकि रोलिंग स्टॉक और अन्य उपकरण यानी परियोजना के लिए सिग्नलिंग और पॉवर सिस्टम जापान से इंपोर्ट किया जाएगा। -भारतीय रेलवे ने नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन (NHSRCL) का गठन किया है और इस संस्था को 500 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। -गुजरात के वडोदरा में 5 हेक्टेयर भूमि पर हाई स्पीड रेल ट्रेनिंग सेंटर बनाया जाएगा, जहां हाई स्पीड रेल अॉपरेशंस में रेलवे स्टाफ को ट्रेनिंग दी जाएगी। इस सेंटर को बनाने में 600 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। -इसके अलावा सरकार लागत कम करने के मकसद से एलिवेटेड लाइन के निर्माण पर विचार कर रही है, ताकि भूमि अधिग्रहण पर खर्च होने वाली बड़ी रकम को बचाया जाए सके। ये हैं खासियतें: -मुंबई और अहमदाबाद के बीच चलने वाली बुलेट के रूट में 12 स्टेशन होंगे। जिन स्टेशनों पर ट्रेन रुकेगी वह हैं-बांद्रा कुर्ला कॉम्पलेक्स (बीकेसी) , ठाणे, विरार, बोइसर, वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरूच, वडोदरा, आणंद, अहमदाबाद और साबरमती। महाराष्ट्र सरकार ने अंडरग्राउंड स्टेशन बनाने के लिए बीकेसी के पास जमीन मुहैया कराने का फैसला किया है। हाई स्पीड: बुलेट ट्रेन 350 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है, लेकिन इसे 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया जाएगा। बुलेट ट्रेन मुंबई से अहमदाबाद की यात्रा 2 घंटे में पूरा करेगी, जिसे फिलहाल दुरंतो एक्सप्रेस या शताब्दी से पूरा करने में 7 घंटे लगते हैं। सुरक्षा: जापान रेल को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। शिन्कान्सेन टेक्नोलॉजी अपनी एफिशियंसी, क्वॉलिटी और सेफ्टी के लिए जानी जाती है। भारत आने के बाद इस टेक्नोलॉजी से इंडियन रेलवे में सुरक्षा को बढ़ाने में अहम सफलता मिलेगी। इन हाई स्पीड ट्रेनों को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह आपदाओं का मुकाबला कर सकें और कम से कम कंपन हो। ये ट्रेनें भूकंप का पता लगाने वाले सिस्टम के अलावा वर्ल्ड क्लास सिक्योरिटी फीचर्स से लैस हैं। ट्रेन और डिब्बों के कामकाज पर निगरानी रखने के लिए इनमें सेंसर फिट किए गए हैं। आधुनिक पटरियां: शिन्कान्सेन ट्रेनें चौड़ी पटरियों (वाइड गेज) पर चलती हैं, जिनमें तीखे मोड़ नहीं होते। एक ही स्तर पर वह अन्य रेलवे लाइनों को पार नहीं करतीं। इस तरह अन्य ट्रेनों के गुजरने की टेंशन न होने के कारण ये ट्रेनें बिना रुके दौड़ती हैं। अंडर वॉटर कॉरिडोर: मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन के लिए समुद्र के अंदर जो कॉरिडोर बनाया जाएगा, वह ठाणे खाड़ी के बाद शुरू होगा और यह समुद्र तल के 70 मीटर नीचे बनाया जाएगा। -अॉटोमैटिक ट्रेन कंट्रोल: शिन्कान्सेन टेक्नोलॉजी के तहत बनाई जाने वाली इन ट्रेनों में रफ्तार पर नियंत्रण रखने के लिए एक खास सिस्टम होता है, जिसे एटीसी भी कहा जाता है। इससे रफ्तार की जानकारी और ड्राइवर को सिग्नल मिलता है। मजबूत और इको-फ्रेंडली डिजाइन: इस ट्रेन में 10 कोच होंगे, जिनमें 750 यात्री सफर कर सकेंगे। इतना ही नहीं, बुलेट ट्रेन ईंधन बचाती है और हवा में प्रदूषकों की कम मात्रा छोड़ती है। इन ट्रेनों को इस तरह बनाया गया है कि ये ज्यादा भार झेल सकें। किफायती किराया: यह ट्रेन एक दिन में 70 फेरे लगाएगी। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने वादा किया है कि इस ट्रेन का किराया एेसा रखा जाएगा, जो सभी के लिए किफायती औक राजधानी एक्सप्रेस के एसी-2 टायर के बराबर होगी।



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