जानिए कैसे तय होता है प्रॉपर्टी टैक्स, क्या है भुगतान का तरीका
अगर आपके नाम पर प्रॉपर्टी है तो आपको कई टैक्स चुकाने पड़ते हैं। एेसा ही एक टैक्स जो मकानमालिक को सालाना स्थानीय निकाय संस्थाओं और राज्य सरकार को देना पड़ता है, वह है प्रॉपर्टी टैक्स। भारत में प्रॉपर्टी का मालिक होना एक सुरक्षित निवेश माना जाता है। निकाय संस्थाओं के लिए शहर प्रबंधन और रखरखाव के लिए प्रॉपर्टी टैक्स राजस्व का एक अहम स्रोत होता है।
क्या है प्रॉपर्टी टैक्स: प्रॉपर्टी टैक्स में 'प्रॉपर्टी' शब्द का मतलब अचल संपत्तियों से है, जिन पर किसी का मालिकाना हक है। यह रिहायशी, कमर्शियल या किसी को रेंट पर दी हुई जमीन हो सकती है। राज्य सरकार ने गणना का जो फॉर्म्युला नोटिफाई किया हुआ है, उसके आधार पर संपत्ति के मालिक को बतौर प्रॉपर्टी टैक्स कुछ पैसा स्थानीय निकाय संस्थाओं को देना होता है। चूंकि हर प्रॉपर्टी एक संपत्ति है, इसलिए उस पर सालाना टैक्स सरकार को भुगतान करना अनिवार्य होता है। लेकिन इसकी एक रसीद जरूर ले लेनी चाहिए, जो भविष्य में इसे बेचते वक्त यह साबित करती है कि आपकी प्रॉपर्टी पर कोई बकाया नहीं है।
प्रॉपर्टी टैक्स इंडियन टैक्स सिस्टम का एक अहम हिस्सा है। किसी भी शहर या गांव को इसका भुगतान न करने की छूट नहीं मिली हुई है। ग्रामीण इलाकों में किसानों और जमींदारों को भी स्थानीय निकायों को इसका भुगतान करना पड़ता है। अगर वे एेसा नहीं करते हैं तो उनपर पेनाल्टी लगाई जाती है। वहीं अगर लंबे समय तक इसे नहीं चुकाया जाता तो प्रॉपर्टी भी जब्त की जा सकती है। टेक्नोलॉजी के बिना पुराने समय में हाथ से रजिस्टर में लिखकर प्रॉपर्टी टैक्स के भुगतान का रिकॉर्ड रखा जाता था। अब शहरों और कस्बों में पूरी प्रक्रिया अॉनलाइन हो गई है। हालांकि कुछ ग्रामीण इलाकों में अब भी पुराने तरीकों से रजिस्टर में लिखकर रिकॉर्ड मेंटेन किए जा रहे हैं।
कैसे कैलकुलेट होता है प्रॉपर्टी टैक्स: चूंकि यह राज्य का विषय है, इसलिए इसकी गणना के लिए कोई तय फॉर्म्युला नहीं है। आमतौर पर सभी राज्यों में टैक्स की गणना करने का तरीका एक जैसा ही है। हालांकि फॉर्म्युले में मानी जाने वाली चीजों में निकाय अधिकारी बदलाव कर सकते हैं।
मुंबई में प्रॉपर्टी टैक्स:
इस शहर में प्रॉपर्टी की लोकेशन का मूल्यांकन करने के बाद टैक्स लगाया जाता है। यह भी देखा जाता है कि घर में मालिक खुद रह रहा है या वह किराए पर है। प्रॉपर्टी रिहायशी, कमर्शियल है या फिर जमीन। किस तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं, बिल्डिंग को कितने वर्ष हो गए, बिल्डिंग मल्टी स्टोरी है, सिंगल फ्लोर है या फिर कच्चा मकान। कितना फ्लोर इंडेक्स (FSI) और कार्पेट एरिया है। इन सभी मानकों को ध्यान में रखते हुए निकाय संस्थाएं अलग-अलग फॉर्म्युले के जरिए टैक्स तय करती हैं। बृहन्मुंबई महानगर पालिका इस फॉर्म्युले का इस्तेमाल करती है:
प्रॉपर्टी टैक्स=बेस वैल्यू×कितने गज पर इमारत बनी है×एेज फैक्टर× टाइप अॉफ बिल्डिंग×किस श्रेणी के लिए इस्तेमाल होती है×फ्लोर फैक्टर
दिल्ली में प्रॉपर्टी टैक्स:
चीजों को आसान बनाने के लिए दिल्ली नगर निगम ने एक अॉनलाइन कैलकुलेटर बनाया है, जिसमें टाइप अॉफ लोकेशन, टाइप अॉफ कंस्ट्रक्शन और आसपास क्या सुविधाएं हैं, इसके आधार पर प्रॉपर्टी टैक्स तय किया जाता है। इसमें प्रॉपर्टी की सालाना वैल्यू भी गिनी जाती है और इसका फॉर्म्युला है:
एनुअल वैल्यू=कवर्ड एरिया×यूनिट एरिया वैल्यू×एेज फैक्टर× यूज फैक्टर×स्ट्रक्चर फैक्टर×अॉक्युपेंसी फैक्टर
दिल्ली सरकार कुछ नागरिक वर्गों को छूट भी देती है। इनमें वरिष्ठ नागरिक, महिलाएं, विकलांग, पूर्व सैनिक, ग्रुप हाउजिंग फ्लैट मालिक, सीजीएचएस फ्लैट मालिक शामिल हैं। यह छूट प्रॉपर्टी टैक्स के 30 प्रतिशत जितनी ज्यादा है।
बेंगलुरु में प्रॉपर्टी टैक्स:
इस शहर में प्रॉपर्टी टैक्स की गणना करने के लिए इन आठ चरणों से गुजरना पड़ता है।
-जितनी जगह पर प्रॉपर्टी बनी है, प्रति एरिया यूनिट की कीमत और लागू हुए डेप्रिसिएशन को कैलकुलेट करें।
-प्रति एरिया यूनिट को कुल जगह से गुणा करें और उसके बाद जो आए उसकी 10 से गुणा करें।
-दूसरे चरण में जो वैल्यू आई है, उसमें से डेप्रिसिएशन घटा दें। यह प्रॉपर्टी की सालाना वैल्यू है।
-अब संपत्ति के सालाना मूल्य का 20 प्रतिशत कैलकुलेट करें। जो कीमत आएगी, वह संपत्ति कर राशि है।
-अब संपत्ति कर राशि का 24 प्रतिशत कैलकुलेट करें। यह सेस है।
-देय कर राशि पर पहुंचने के लिए प्रॉपर्टी टैक्स और सेस को जोड़ दें।
-अगर आप 30 अप्रैल से पहले प्रॉपर्टी टैक्स जमा करा देते हैं तो आप 5 प्रतिशत की छूट पा सकते हैं।
-अब देय कर राशि में से 5 प्रतिशत घटा दें। जो आएगा वह आपका असली प्रॉपर्टी टैक्स होगा।
बृहद बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) में 6 विभिन्न तरीके के प्रॉपर्टी टैक्स फॉर्म हैं। संपत्ति का मालिक जो ब्योरा देता है, उसी के मुताबिक हर एक फॉर्म उससे डील करता है। टैक्सपेयर्स ध्यान रखें कि 1000 रुपये तक का भुगतान वह कैश में कर सकते हैं। ज्यादा राशि के लिए उन्हें क्रेडिट/डेबिट या बीबीएमपी के नाम पर डिमांड ड्राफ्ट देना होगा।
चेन्नई में प्रॉपर्टी टैक्स:
इस शहर में प्रॉपर्टी टैक्स की गणना के लिए जितनी जमीन पर घर बना है उसे इलाके के बेस प्राइज से गुणा कर दें। इसके बाद उसे कॉमन फैक्टर 10.92 से गुणा कर दें। यह प्रॉपर्टी की अनुमानित अनुअल रेंटल वैल्यू होगी। वार्षिक मूल्य को चार श्रेणियों में बांटा गया है, जिस पर नीचे दिए गए तरीके से छमाही के आधार पर टैक्स लगाया जा सकता है।
ग्रेड सालाना वैल्यू छमाही कर (सालाना वैल्यू का प्रतिशत)
I 1-500 रुपये 6.62
II 500-1000 रुपये 9.92 प्रतिशत
III 1001-5000 रुपये 11.02 प्रतिशत
IV 5000 या उससे ज्यादा 12.40 प्रतिशत
किस तरह की प्रॉपर्टी पर टैक्स लगता है?
प्रॉपर्टी टैक्स हर तरह की संपत्ति रिहायशी, कमर्शियल या जमीन पर लगाया जाता है। अगर प्रॉपर्टी किराए पर दी गई है, तब भी मालिक को प्रॉपर्टी टैक्स देना होगा। कमर्शियल प्रॉपर्टी पर लगने वाला टैक्स रिहायशी संपत्ति पर लगे टैक्स से ज्यादा होता है। प्रॉपर्टी टैक्स की गणना करने का फॉर्म्युला वही है। हालांकि प्राइम लोकेशन पर मौजूद कमर्शियल प्रॉपर्टीज पर कुछ स्थानीय निकाय संस्थाएं ज्यादा टैक्स वसूलती हैं।
कैसे चुकाएं प्रॉपर्टी टैक्स: पहले संपत्ति के मालिक को राज्य राजस्व विभाग के दफ्तर जाकर भुगतान करना पड़ता था। लेकिन अब चीजें आसान हो गई हैं, क्योंकि नगर निगम अॉनलाइन माध्यमों के जरिए टैक्स वसूलने लगे हैं। इंटरनेट के जरिए एेसे भर सकते हैं प्रॉपर्टी टैक्स-
-सिविक अथॉरिटी की वेबसाइट पर लॉग इन करें।
-इसके बाद प्रॉपर्टी टैक्स के टैब पर क्लिक करें।
-किस तरह की प्रॉपर्टी है और साल भरें।
-प्रॉपर्टी से संबंधित जानकारी जैसे पता, गली, संपत्ति का पहचान नंबर आदि भरें। प्रॉपर्टी टैक्स की गणना के लिए यह सभी जरूरी होते हैं।
-आप किस तरह से भुगतान (क्रेडिट/डेबिट या नेटबैंकिंग) करना चाहते हैं, वह चुनें।
-एक बार भुगतान होने के बाद अॉनलाइन रसीद का प्रिंट आउट निकालें और भविष्य के लिए संभाल कर रखें।
-इसके अलावा प्रॉपर्टी टैक्स भरने के और भी माध्यम हैं। कर भुगतान के बाद नगर निगम से मान्यता पाए बैंक आपको चालान जारी कर देंगे। अगर आप अॉनलाइन सिस्टम पर भरोसा नहीं है तो आप खुद प्रॉपर्टी टैक्स के दफ्तर भी जा सकते हैं।
नहीं चुकाया प्रॉपर्टी टैक्स तो....
प्रॉपर्टी टैक्स का भुगतान नहीं करने पर संपत्ति के मालिक को भारी पेनाल्टी चुकानी पड़ सकती है। हर राज्य में पेनाल्टी की राशि अलग-अलग है। हालांकि राज्य सरकारें संपत्ति के मालिकों को थोड़ा और समय दे देती हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग अपना बकाया चुका सकें। हालांकि देरी से प्रॉपर्टी टैक्स का भुगतान करने के समय देय राशि पर 5 से 20 प्रतिशत का ब्याज लग सकता है, लेकिन यह नियमों पर निर्भर करता है।