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वक्फ बोर्ड के बारे में सुना होगा, लेकिन यहां जानिए इसके बारे में हर जानकारी

July 14 2016   |   Probalika Boruah

मद्रास हाई कोर्ट ने पिछले साल तमिलनाडु सरकार को आदेश दिया था कि वह 3 महीने में राज्य में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के कानूनी मसलों को सुलझाने के लिए 3 सदस्ययी वक्फ अधिकरण का गठन करे। इस संबंध में एक पीआईएल दाखिल की गई थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के दिसंबर 2015 में दिए एक आदेश का हवाला दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि वह चार महीनों में 3 सदस्ययी वक्फ अधिकरण का गठन करें। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वक्फ बोर्ड क्या होता है और वह क्या करता है? साथ ही इसकी अहमियत और जिम्मेदारियां क्या होती हैं? प्रॉपटाइगर आपको वक्फ बोर्ड से जुड़ी वह सभी बातें बता रहा है तो आपके लिए बेहद जरूरी हैं।

वक्फ एक्ट 1954 के मुताबिक वक्फ का मतलब है कि इस्लाम मानने वाला कोई शख्स चल या अचल संपत्ति का किसी मकसद से इस्तेमाल कर रहा हो, जिसे मुस्लिम कानूनों के तहत धार्मिक, पवित्र या चैरिटेबल संस्थान की मान्यता मिली हुई हो। वक्फ के स्वामित्व में एक अहम बात यह भी है कि उससे होने वाले मुनाफे या अच्छी चीजों उत्पाद को गरीबों में दान करना होता है।

कब बना वक्फ बोर्ड:

वक्फ बोर्ड एक कानूनी निकाय है, जिसका गठन साल 1964 में भारत सरकार ने वक्फ कानून 1954 के तहत किया था। इसका मकसद भारत में इस्लामिक इमारतों, संस्थानों और जमीनों के सही रखरखाव और इस्तेमाल को देखना था। इस संस्था में एक अध्यक्ष और बतौर सदस्य 20 लोग होते हैं। इन लोगों की केंद्र सरकार नियुक्त करती है। इसके अलावा अलग-अलग राज्यों में अपने वक्फ बोर्ड भी होते हैं |

क्या होता है वक्फ

-वक्फ में चल और अचल दोनों ही संपत्तियां शामिल होती हैं। इसमें कंपनियों के शेयर, अचल संपत्तियों के सामान, किताबें और पैसा होता है।

-वक्फ का विषय इस्लाम को समर्पित शख्स के स्वामित्व में होना चाहिए। कोई किसी दूसरे की संपत्ति को समर्पित नहीं कर सकता।

-ऐसी व्यवस्था में समर्पण स्थायी है।

-वक्फ सिर्फ एक मुस्लिम शख्स द्वारा ही बनाया जा सकता है। वह व्यस्क होना चाहिए साथ ही दिमागी तौर पर स्वस्थ भी।

कैसे बनता है वक्फ

मुस्लिम कानूनों में वक्फ बनाने का कोई खास तरीका नहीं लिखा है, फिर भी इसे इस तरह बनाया जाता है।

-जब कोई शख्स अपनी प्रॉपर्टी के समर्पण की घोषणा करता है तो उसे वक्फ के बराबर माना जाता है। यह उस वक्त भी हो सकता है, जब कोई मृत्यु शैया पर हो। हालांकि एेसे मामलों में वह इंसान वक्फ के लिए अपनी संपत्ति का एक तिहाई से अधिक समर्पित नहीं कर सकता। 

-कोई भी मुस्लिम शख्स वसीयत बनाकर भी अपनी संपत्ति को समर्पित कर सकता है।

-जब संपत्ति को किसी अनिश्चित अवधि के लिए चैरिटेबल या धार्मिक मकसद के लिए इस्तेमाल किया जाता है, तो इसे वक्फ से संबंधित माना जाता है। एेसी संपत्तियों को वक्फ को देने के लिए किसी तरह की घोषणा की जरूरत नहीं है।

इतने तरह के होते हैं वक्फ

वक्फ दो तरह के होते हैं-पब्लिक और प्राइवेट। पब्लिक वक्फ सामान्य चैरिटेबल कामों के लिए होता है। जबकि प्राइवेट वक्फ प्रॉपर्टी मालिक की संतानों के लिए होता है। वक्फ प्रमाणीकरण अधिनियम 1913 के मुताबिक कोई भी अपनी संतानों या वंश के लिए प्राइवेट वक्फ बना सकता है, बशर्ते इससे होने वाला फायदा चैरिटी के लिए जाएगा।   




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