अगर लोन लिया है तो ग्रहणाधिकार के बारे में जरूर जान लें, वरना पड़ सकता है पछताना
कर्ज लेने वाले उसे चुकाने के लिए प्रतिबद्ध रहें, इसके लिए बैंक संपत्ति का कुछ हिस्सा एक्स्ट्रा के रूप में रखते हैं। लियन ( ग्रहणाधिकार) उन्हें एेसी संपत्तियों पर कानूनी अधिकार देता है। जब कोई ग्राहक बैंक से फंड लेने के बाद कोई संपत्ति खरीदता है तो उसे यह अधिकार है कि अगर उधार लेने वाला पैसा नहीं चुका पाता तो वह उस सहायक संपत्ति को बेच सकता है। एेसे मामलों में बंधक संपत्ति पर ट्रांसफर के अधिकारों को लियन कहा जाता है। किसी मामले में अगर उधार लेने वाला लोन नहीं चुका पाता तो कर्ज देने वाला पैसा वापस पाने के लिए उस बंधक संपत्ति को बेच सकता है। दूसरी ओर अगर लोन तय वक्त में चुका दिया जाता है तो उधार देने वाला कर्ज लेने वाले के हक में एक लियन साइन कर देता है। यानी संपत्ति पूरी तरह से उसके नाम हो जाती है।
प्रॉपर्टी को गिरवी रखने की पेशकश करते वक्त लियन लोन के खिलाफ वित्तीय संस्थाओं को सुरक्षा मुहैया कराता है। किसी मामले में अगर कर्ज लेने वाला डिफॉल्टर साबित होता है तो बैंक को कानूनी हक है कि वह बकाया वापस पाने के लिए संपत्ति को बेच सकता है। इसके अलावा लियन के हटने तक ग्राहक प्रॉपर्टी को बेच भी नहीं सकता। लोन चुकाने के बाद घर खरीददार को लियन वापस ले लेना चाहिए। आपको बता दें कि लियन स्थानीय रजिस्ट्रार दफ्तर में रजिस्टर्ड होता है और इसके हटने तक संपत्ति किसी के नाम नहीं लिखी जा सकती।