क्या होम लोन से अलग है गिरवी ऋण, जानिए इससे जुड़ी हर जानकारी
हम अकसर होम लोन और गिरवी ऋण जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। बिना जाने कि ये दोनों एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं। इन दोनों के बारे में काफी मिथ्या बातें फैली हुई हैं, जिनके बारे में आज हम आपको बताएंगे।
*मार्केट से पैसा लेने के लिए बतौर सिक्योरिटी कुछ जमा करना होता है। फिलहाल मौजूद हर तरह के गिरवी ऋण (लोन) में एेसा ही होता है। इसलिए होम लोन भी एक तरह का गिरवी ऋण ही है। इसमें प्रॉपर्टी को सिक्योरिटी मानकर लोन दिया जाता है। गिरवी ऋण में आप पैसा लेने के लिए अन्य संपत्तियों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। गिरवी ऋण में आपकी संपत्ति सिक्योरिटी का काम करती है। भारत में ज्यादातर होम लोन गिरवी ऋण होते हैं। इसका मतलब है कि अगर आप बकाया नहीं चुका पाते हैं तो बैंक नुकसान की भरपाई करने के लिए आपकी संपत्ति को बेच सकता है।
*होम लोन का पहले से तय एक नेचर है। प्रॉपर्टी खरीदने के वक्त ही इसे दिया जाता है। गिरवी ऋण के तहत लिया गया पैसा दूसरे कामों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यही कारण है कि गिरवी ऋण लेने पर आपको ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ता है। भारतीय बैंक गिरवी ऋण का विस्तार कर संपत्ति को सिक्योरिटी रखकर निजी इस्तेमाल के लिए आपको पैसा उधार देते हैं।
*होम लोन के मामले में बैंक सीधे विक्रेता के खाते में पेमेंट करते हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि पैसा सिर्फ घर खरीदने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। जबकि गिरवी ऋण में पैसा सीधे उधार लेने वाले को दिया जाता है और वह उसका कहीं भी इस्तेमाल कर सकता है।
*यह भी जानना जरूरी है कि होम लोन पर आप जो ब्याज चुकाते हैं, वह गिरवी ऋण की तुलना में कम होता है। उदाहरण के तौर पर पिछले साल जून तक स्टेट बैंक अॉफ इंडिया ने 9.20 प्रतिशत की ब्याज दर पर होम लोन दिए थे। वहीं प्रॉपर्टी के एवज में दिए गए लोन पर एसबीआई ने (लोन की रकम के आधार पर) 10.77 और 11.75 प्रतिशत की ब्याज दरें लगाई थीं।
*होम लोन से उलट गिरवी ऋण चुकाते वक्त सैलरी पाने वाले कर्मचारियों को टैक्स में कोई रियायत नहीं मिलती। 28 लाख तक के होम लोन प्राथमिकता वाली सीमा के दायरे में आते हैं। जबकि दूसरी ओर गिरवी ऋण के साथ यह फायदा नहीं मिलता।