अगर नहीं हैं ये दस्तावेज तो अधूरा रह जाएगा घर लेने का सपना
शहर में अपना एक आशियाना बसाने का सपना सबका होता है। ग्राहक कड़ी मेहनत और पाई-पाई जोड़कर इस सपने को साकार करने की कोशिश करते हैं। लेकिन जब यह सपना सच होने की कगार पर पहुंचता है तो इस प्रक्रिया में ढेर सारा पेपरवर्क होता है। अगर होम लोन ले रहे हैं तो बैंक और प्रशासन का भी काफी पेपरवर्क होता है। यही दस्तावेज संपत्ति पर आपकी दावेदारी पेश करते हैं। आइए आपको उन दस्तावेजों के बारे में बताते हैं जो घर खरीदने के लिए अनिवार्य होते हैं:
बैनामा: घर खरीदने के लिए कागज का यह पन्ना सबसे जरूरी होता है। असली बैनामा संपत्ति पर आपका मालिकाना हक साबित करता है। जिस इलाके में संपत्ति स्थित है, वहीं के सब-रजिस्ट्रार के अॉफिस में जाकर आपको अपनी प्रॉपर्टी रजिस्टर करानी पड़ती है।
खाता प्रमाण पत्र: अंग्रेजी में इसे Extract भी कहते हैं। अलग-अलग शहरों में इसे विभिन्न नामों से पुकारा जाता है। नई संपत्ति के रजिस्ट्रेशन के लिए यह बेहद जरूरी दस्तावेज है। इसकी जरूरत उस वक्त भी पड़ती है, जब आप बाद में प्रॉपर्टी का मालिकाना हक किसी और को ट्रांसफर करना चाहते हैं। यह दस्तावेज इस बात का सबूत होता है कि इस संपत्ति की एंट्री स्थानीय म्युनिसिपल रिकॉर्ड्स में हुई है और मंजूर किए गए प्लान के मुताबिक ही प्रॉपर्टी का निर्माण किया गया है। होम लोन देने से पहले बैंक भी आपसे यह कागज मांगते हैं।
Mutation Register Extract : यह दस्तावेज ग्राम पंचायत की संपत्तियों में काम आता है। इसमें पिछले मालिक की जानकारी होती है। हालांकि असली दस्तावेज देने की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन अगर आप ग्राम पंचायत के तहत आने वाले इलाकों में प्रॉपर्टी लेते हैं तो इसे दिखाना अनिवार्य होता है।
जनरल पावर अॉफ अटॉर्नी: इसे यह साबित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है कि क्या किसी संपत्ति की ब्रिकी या खरीद को प्रॉपर्टी के मालिक की ओर से किसी अधिकृत शख्स द्वारा किया जा रहा है या नहीं। होम लोन लेने के लिए इसका असली दस्तावेज दिखाना होता है।
नो अॉब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) : बहुत कम लोग यह बात जानते होंगे कि एक प्रोजेक्ट बनाने के लिए बिल्डर को अलग-अलग अथॉरिटीज से 19 एनओसी लेनी पड़ती हैं। हालांकि विभिन्न शहरों में यह संख्या अलग-अलग हो सकती है। आप अपने डिवेलपर से इन एनओसी की कॉपी अपने पर्सनल रिकॉर्ड में रखने के लिए मांग सकते हैं।
अलॉटमेंट लेटर: होम लोन पाने के लिए अलॉटमेंट लेटर बेहद जरूरी दस्तावेजों में से एक होता है। इसे डिवेलपर या हाउजिंग अथॉरिटी द्वारा जारी किया जाता है। इसमें प्रॉपर्टी का विवरण और ग्राहक ने बिल्डर को कितना पैसा दिया है, इसकी जानकारी होती है। यह भी ध्यान रखें कि अलॉटमेंट लेटर बिक्री समझौते (सेल अग्रीमेंट) के जैसी नहीं होती है। अटॉलमेंट लेटर जहां अथॉरिटी के लेटर हेड पर जारी किया जाता है, वहीं सेल अग्रीमेंट स्टैंप पेपर पर तैयार किया जाता है। इसके अलावा अलॉटमेंट लेटर पहले मालिक को जारी होता है, जबकि अन्य मालिक असली लेटर की एक कॉपी बेचने वाले से मांग सकते हैं।
सेल अग्रीमेंट: इस दस्तावेज में प्रॉपर्टी की पूरी जानकारी जैसे नियम व शर्तें, पोजेशन की तारीख, पेमेंट प्लान, विवरण, कॉमन एरिया और सुविधाओं की जानकारियां होती है। इसमें यह भी लिखा होता है कि प्रॉपर्टी के कंस्ट्रक्शन के लिए बिल्डर जिम्मेदार होगा। प्रॉपर्टी खरीदने और होम लोन पाने के लिए इस दस्तावेज की ओरिजनल कॉपी दिखानी पड़ती है।
पोजेशन लेटर: यह दस्तावेज बिल्डर ग्राहक को मुहैया कराता है। इसमें वह तारीख लिखी होती है, जब बिल्डर ग्राहक को प्रॉपर्टी सौंपेगा। अगर आप एक रीसेल प्रॉपर्टी खरीदते हैं तो बैंक को दिखाने के लिए आप बेचने वाले से रसीदों की कॉपी मांग सकते हैं।
प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदें: घर के मालिकों को टैक्स चुकाना पड़ता है। यह भी सुनिश्चित करें कि पिछले मालिक ने प्रॉपर्टी टैक्स चुकाया है और अब कोई बकाया नहीं है। प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदें संपत्ति की कानूनी स्थिति साबित करने में भी मदद करती हैं।
पेमेंट की रसीदें: अगर आप कोई नई संपत्ति खरीद रहे हैं तो अपने बिल्डर से पेमेंट की ओरिजनल रसीदें जरूर लें। दूसरी ओर अगर रीसेल प्रॉपर्टी खरीदने का विचार है तो बेचने वाले से रसीदों की कॉपी बैंक को दिखाने के लिए मांग लें।
Encumbrance Certificate (जोखिम प्रमाणपत्र) : इस दस्वातेज इस बात का सबूत होता है कि प्रॉपर्टी पर कोई कानूनी बकाया या वह गिरवी नहीं है। लोन देने से पहले बैंक आपसे इस दस्तावेज की भी मांग कर सकता है। इस सर्टिफिकेट में पिछले कुछ वक्त में हुए लेनदेन से जुड़ी सभी जानकारियां भी होती हैं। अगर किसी प्रॉपर्टी पर कोई कानूनी बकाया होता है तो भारत में फॉर्म 15 जारी किया जाता है। लेकिन अगर एेसा नहीं होता तो मालिक को फॉर्म 16 दिया जाता है।
कंप्लीशन प्रमाणपत्र: यह दस्तावेज होम लोन लेने के लिए जरूरी होता है। इससे यह भी साबित होता है कि जो बिल्डिंग बनाई जा रही है, वह मंजूर किए गए प्लान के तहत हो रही है।
अॉक्युपेंसी सर्टिफिकेट: इसे अधिवास प्रमाण पत्र भी कहा जाता है। यह बिल्डर को स्थानीय प्रशासन जारी करता है। इससे यह मालूम चलता है कि बिल्डिंग पूरी तरह से रहने लायक है और मंजूर किए गए प्लान के मुताबिक कंस्ट्रक्शन की गई है।