बिल्डरों को उम्मीद-जीएसटी रियल एस्टेट पर डालेगा पॉजिटिव असर, लेकिन इन सवालों के नहीं मिले जवाब
एक जुलाई से पूरे देश में गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानी जीएसटी लागू हो गया है। इस टैक्स सिस्टम के लागू होने के बाद रियल एस्टेट सेक्टर पर भी खासा प्रभाव देखने को मिल रहा है। हालांकि शुरुआत से ही बिल्डर कम्युनिटी ने जीएसटी का स्वागत किया है, लेकिन उन्होंने भविष्य में किफायती आवास, अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टीज और इंडस्ट्री के जुड़े एेसे मुद्दों पर चिंता जताई थी, जिन्हें अब तक जीएसटी काउंसिल ने नहीं माना है। फिर भी बिल्डर्स इन फायदों की उम्मीद में हैं:
-जीएसटी बिल्डर्स के लिए लागत घटा देगा। कई टैक्स देने के बजाय, अब उन्हें सिर्फ एक ही टैक्स देना पड़ेगा। नेशनल रियल एस्टेट डिवेलपमेंट काउंसिल (NAREDCO) की वाइज प्रेसिडेंट मंजू यागनिक ने कहा था कि आखिरी चरण में टैक्स में बढ़ोतरी हो सकती है। लेकिन इनपुट टैक्स पर क्रेडिट का होना टैक्स का असली बोझ नहीं बढ़ने देगा। यह सेक्टर के भीतर लेनदेन को मान्य करने में भी मदद करेगा। चूंकि सरकार ने निश्चित राजस्व दर का वादा किया है, इसलिए ग्राहकों पर किसी तरह का गलत असर पड़ने की संभावना नहीं है। इसके अलावा, यह कीमतों में कृत्रिम मुद्रास्फीति की जांच करने में भी मदद करेगा।
समय और मेहनत की बचत: कन्फेड्रेशन अॉफ रियल एस्टेट डिवेलपर्स असोसिएशंस अॉफ इंडिया-महाराष्ट्र चेंबर अॉफ हाउसिंग इंडस्ट्री (CREDAI-MCHI) के चेयरमैन-एक्जीबिशन दीपेश भगतानी ने कहा था कि हम जीएसटी का इंतजार कर रहे हैं और इसके साथ कई फायदे भी आएंगे। फिलहाल कई तरह के टैक्स हैं, जिन्हें वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) और स्थानीय करों के रूप में चुकाना पड़ रहा है।
कर देयता में गिरावट: रियल एस्टेट सेक्टर 40 प्रतिशत टैक्स के रूप में चुका रहा है। जीएसटी के साथ बड़ा फायदा हो सकता है, जिसे उपभोक्ताओं को दिया जा सकता है। साई एस्टेट कंसलटेंट के डायरेक्टर अमित वाधवानी ने कहा था कि कई एक्सपर्ट्स जीएसटी रेट 18 प्रतिशत और भूमि का मूल्य आवासीय संपत्ति के कुल मूल्य का 25 प्रतिशत से कम होने का अनुमान लगा रहे हैं। इस मामले में ग्राहक 13.5 प्रतिशत की दर से भुगतान करेंगे, जो सभी राज्यों में मौजूदा सर्विस टैक्स और वैट से कहीं ज्यादा है। लेकिन इनपुट क्रेडिट भत्ते के कारण बिल्डर्स कीमत में कमी कर उसका फायदा उपभोक्ताओं को दे सकते हैं। इससे 20 प्रतिशत तक की बचत हो सकती है। जीएसटी लागू होने के बाद ग्राहकों को कुछ अन्य टैक्सों का भुगतान करना पड़ सकता है, लेकिन वह बिल्डर्स से ज्यादा छूट की उम्मीद भी कर सकते हैं, जो टैक्स बचाने में भी मदद करेंगे।
इन सवालों के नहीं मिले जवाब?
वन नेशन वन टैक्स सिस्टम का मकसद पारदर्शिता लाना और संचालन की लागत कम करना है। लेकिन इसमें भी अलग-अलग चरणों पर कई तरह की चुनौतियां हैं। रियल एस्टेट मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट (REMI) की बिजनेस हेड सुभिक्षा बिल्खा ने इस मुद्दों पर चिंता जताई है:
-सरकार कैशलेस इकनॉमी को बढ़ावा दे रही है, जो बैंकों के जरिए प्रॉपर्टी खरीदने को प्रोत्साहन देगा, एेसे में अंडर कंस्ट्रक्शन के लिए ईमआई पर जीएसटी घर खरीददार पर कैसा प्रभाव डालेगा?
-REITS के जरिए रियल एस्टेट सेक्टर में जरूरी कैश फ्लो आने की उम्मीद है, एेसे में REIT के तहत लीज या रेंट पर जीएसटी निवेशकों के कुल रिटर्न्स पर कैसा प्रभाव दिखाएगा?
हालांकि रियल एस्टेट पर जीएसटी कैसा प्रभाव डालेगा, यह अब भी साफ नहीं है। लेकिन आने वाले वक्त में डिवेलपर्स को उस वक्त राहत मिल सकती है, जब जीएसटी काउंसिल प्रॉपर्टी मार्केट पर प्रभाव का आकलन करेगी और घर खरीददारों की भावनाओं का ध्यान रखते हुए कम टैक्सों का एेलान करेगी।