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चेक बाउंस हुआ तो बड़ी मुश्किलों में फंस सकते हैं आप, साख को भी लग सकता है धक्का

July 10, 2017   |   Sunita Mishra
अगर आपने किसी के नाम चेक इश्यू किया है और वह बाउंस हो जाता है, तो बैंक कुछ राशि काट लेता है। आप इस मामले को रफा-दफा भी कर सकते हैं और नहीं भी। एेसा इसलिए क्योंकि रिजर्व बैंक अॉफ इंडिया ने इसके लिए किसी तरह की गाइडलाइंस नहीं बनाई हैं। इसी कारण विभिन्न बैंक चेक बाउंस से जुड़े अपराधों में अलग-अलग पेनाल्टी लगाते हैं। अपने प्रॉफिट मार्जिन को ध्यान में रखते हुए बैंक चेक बाउंस पर पेनाल्टी को बैलेंस मेंटेन करने के तरीके के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। इसका मतलब है भविष्य में चेक बाउंस होने पर आपकी जेब ज्यादा ढीली हो सकती है। 
 
आवर्ती चेक बाउंस और बैंकों द्वारा लगाए जाने वाली पेनाल्टी निश्चित तौर पर आपका ध्यान इस ओर देने पर मजबूर कर सकते हैं। मौद्रिक जुर्माना उस वक्त कम कठोर लगेगा, जब आप होम लोन के लिए अप्लाई करेंगे और वह अस्वीकार कर दिया जाएगा। आवर्ती चेक बाउंस आपका बैंकिंग रिकॉर्ड खराब कर देते हैं और इसी आधार पर बैंक आपको पैसा देने से इनकार कर सकते हैं। हालांकि यह सब यहीं खत्म नहीं होता। 
 
आपको बता दें कि अगर अकाउंट में अपर्याप्त राशि के कारण चेक बाउंस होता है तो इसे दंडनीय अपराध माना जाएगा। जिसके नाम पर चेक इश्यू किया गया है, वह शख्स या बैंक नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के सेक्शन 138 के तहत शिकायत दर्ज करा सकता है। सजा के तौर पर आपको जेल, राशि का दोगुना जुर्माना या दोनों भुगतना पड़ सकता है।  
 
अगर डिफॉल्ट तकनीकी गलती के कारण हुआ है तो भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम 2007 की धारा 25 के तहत शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। हालांकि  सजा से बचने के लिए बकाएदार केस को लंबा खींचते हैं। लेकिन चीजें उस वक्त और मुश्किल हो गईं, जब केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चेक से जुड़े अपराधों के लिए खास उल्लेख किया। 
 
2017-18 की बजट स्पीच में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ''हम डिजिटल लेनदेन और चेक पेमेंट के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। हमें यह सुनिश्चित करना है कि जिसके नाम चेक जारी किया गया है, उसे भुगतान हो सके। इसलिए सरकार का नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट में संशोधन के विकल्प पर विचार करना जरूरी है। 
 
प्रस्तावित बदलावों के तहत एक अपराधी को उच्च अदालत में अपील करने के लिए एक पूर्व शर्त के रूप में ट्रायल कोर्ट द्वारा लगाए गए जुर्माने या मुआवजे का 50 प्रतिशत जमा करना होगा। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपराधी मुआवजा देने से बचने के लिए सिर्फ सजा काटकर नहीं छूट सकता।  
 
इसके अलावा बाउंस चेक की भी उलझने हैं। अगर आप नियमित अपराधी हैं तो बैंक आपको चेक बुक इश्यू नहीं करेगा। बैंक के पास यह कानूनी अधिकार है कि बकाया हासिल करने के लिए वह उस सिक्योरिटी को भी बेच सकता है जो आपने लोन लेने के लिए डिपॉजिट की है।



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