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प्रॉपर्टी के मूल्यह्रास यानी डेप्रिसिएशन को एेसे करें कैलकुलेट

August 16, 2022   |   Surbhi Gupta
अन्य किसी भी चीज की तरह अचल संपत्ति की भी एक सीमित उम्र होती है। जमीन तो मूल्यवान है, लेकिन कंक्रीट से बनी इमारत वक्त से साथ पुरानी होती जाती है। हालांकि प्रॉपर्टी वैल्यू में लोकेशन एप्रीसिएशन और डेप्रिसिएशन में अहम किरदार निभाते हैं। इसके अलावा इमारत की उम्र भी संपत्ति की डेप्रीसिएटिंग वैल्यू की गणना करने में अहम रोल अदा करता है। एप्रीसिएशन यानी मार्केट की स्थिति में बदलाव के कारण प्रॉपर्टी की वैल्यू में इजाफा, जबकि डेप्रीसिएशन का मतलब होता है मार्केट की स्थिति में बदलाव या किसी अन्य  कारण से प्रॉपर्टी की वैल्यू में गिरावट। 
 
क्या होता है डेप्रीसिएशन अॉफ प्रॉपर्टी: प्रॉपर्टी वैल्यू का डेप्रीसिएशन यानी मूल्यह्रास आपके घर के बिक्री मूल्य (सेलिंग वैल्यू) में कमी या गिरावट है। संपत्ति की कुल कीमत के साथ निर्माण की उम्र के कारण उत्पाद के रूप में इसकी गणना की जाती है। यह भी समझना जरूरी है कि डेप्रीसिएशन फैक्टर कंक्रीट इमारतों के लिए वैध रहता है न कि जमीन के लिए। इसलिए जमीन का मूल्य वही रहता है और मार्केट वैल्यू के लिए बेंचमार्क होता है। वहीं निर्माण की कीमत की गणना इमारत की कुल उम्र और मौजूदा उम्र के आधार पर की जाती है। इसलिए जमीन हमेशा इजाफा करती है और निर्माण में गिरावट आती है। जब एक ग्राहक अपार्टमेंट प्रॉपर्टी में निवेश करता है तो वह उस जमीन का एफएसआई भी खरीदता है, जिस पर प्रोजेक्ट बना है। जिस कीमत पर आप फ्लैट खरीदते हैं, वह रीसेल के वक्त ज्यादा कीमत पर बिकता है। इसका कारण कि फ्लैट जमीन की एप्रीसिएशन की मांग कर रहा है। स्वतंत्र घरों के लिए यह इमारत का एक अंग है जो उस वक्त गिरावट पैदा करता है, जब जमीन की गणना मार्केट प्राइज पर की जाती है। 
 
एेसे करें प्रॉपर्टी के डेप्रीसिएशन की गणना: एक स्वतंत्र घर की औसतन आयु 60 साल होती है। इमारत के अंग की डेप्रीसिएशन की गणना करने के लिए बिल्डिंग की कुल आयु और निर्माण के वर्ष का अनुपात निकालें। उदाहरण के तौर पर अगर एक ग्राहक निर्माण के 10 वर्ष बाद प्रॉपर्टी बेच रहा है तो बेचने की कीमत इस फॉर्म्युले के जरिए हासिल की जा सकती है।
 
निर्माण के बाद के वर्ष: बिल्डिंग की कुल आयु=10:60=1:6
 
उपयोगी उम्र का शेष निर्माण का वास्तविक बिक्री मूल्य है। घर का सही बिक्री मूल्य पाने के लिए इस कीमत के साथ भूमि के बाजार मूल्य को भी जोड़ दें। अगर किसी जगह की मांग बहुत ज्यादा है और जमीन की कमी है तो डेप्रीसिएशन फैक्टर जीरो भी हो सकता है। एक और पहलू जो एक घर की लागत को और भी प्रभावित कर सकता है वह है अप्रचलन कारक। ये वो चीजें होती हैं जो पुरानी हो गई हैं, जैसे इलेक्ट्रिकल फीटिंग, प्लंबिंग, कंस्ट्रक्शन टाइप, डिजाइनिंग और इंटीरियर्स आदि। 
 
सौदेबाजी और बातचीत: संपत्ति बेचते समय ग्राहक को अपनी उम्मीदों को निर्धारित करने में तर्कसंगत होना जरूरी है। पुरानी संपत्ति को ध्यान में रखते हुए रिपेयर वर्क और रेनोवेशन के लिए खरीदार घर की कुल कीमत का 5 प्रतिशत इसमें खर्च करेगा। एक तर्कसंगत बिक्री मूल्य किसी भी मुश्किल के बिना खरीदार खोजने में विक्रेता की मदद करेगा।



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