रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में फंस गया है पैसा तो कंज्यूमर कोर्ट में ऐसे फाइल करें केस
अगर ग्राहक किसी गलत प्रोजेक्ट में पैसा लगा देता है तो उसे देरी, फ्रॉड या समझौते में चूक का सामना करना पड़ जाता है। साथ ही कोर्ट में लंबे चलने वाले केस और सिरदर्द पैदा कर देते हैं। ग्राहक के लिए चीजों को आसान बनाने के लिए कंज्यूमर कोर्ट उन रियल एस्टेट मामलों को स्वीकार करने लगे हैं, जिनकी कीमत 1 करोड़ से कम है। कंज्यूमर कोर्ट में केस फाइल करने के लिए ग्राहक को किसी वकील की भी जरूरत नहीं है। अगर आप भी रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के चलते परेशानियों का सामना कर रहे हैं तो इन स्टेप्स को फॉलो कर बिल्डर पर कार्रवाई कर सकते हैं:
पहला स्टेप: औपचारिक शिकायत करने से पहले कंस्ट्रक्शन कंपनी या डिवेलपर को एक नोटिस भेजें। कंज्यूमर के लिए यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि वह विपक्षी पार्टी को नोटिस सेवा में कमी या गलत काम के मद्देनजर ही भेजे। यह भी देखना अहम है कि क्या बिल्डर ग्राहक के नुकसान की भरपाई करने के लिए मुआवजा देने को तैयार है। अगर बिल्डर इस नोटिस को नजरअंदाज करता है तो ग्राहक को कंज्यूमर कोर्ट का रुख करना चाहिए।
स्टेप 2: कोई भी शख्स उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत औपचारिक शिकायत दर्ज करा सकता है। केस लड़ने के लिए किसी वकील की भी जरूरत नहीं है। शिकायत का फॉर्म भरकर ग्राहक उसे कमिशन के पास जमा करा सकते हैं। इसके साथ एक कागज पर ग्राहक को अपना और जिसकी शिकायत करनी है, उसका विवरण लिखकर देना होता है। इसके अलावा ग्राहक शिकायत सुलझाने वाले फोरम की भी मदद ले सकते हैं, जो कुछ पैसे लेकर केस दर्ज कराने में मदद करते हैं। एेसा ही एक गैर सरकारी संस्थान अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार सुरक्षा परिषद् है। ग्राहक को उस जिला फोरम में शिकायत दर्ज करानी चाहिए, जहां विपक्षी पार्टी का घर, अॉफिस या प्रोजेक्ट स्थित हो। अॉनलाइन शिकायत www.consumerhelpline.gov.in पर की जा सकती है।
स्टेप 3: ग्राहक को फीस डिमांड ड्राफ्ट के जरिए ही जमा करानी होगी। इसके अलावा कंज्यूमर फोरम शिकायत पर अमल करने के लिए अलग क्षेत्राधिकार के तहत काम करता है:
-अगर क्लेम 20 लाख रुपये से कम का है तो जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम याचिका को सुनेगा।
-अगर क्लेम 20 लाख से ज्यादा लेकिन 1 करोड़ से कम है तो राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग शिकायत पर सुनवाई करेगा।
-अगर क्लेम एक करोड़ रुपये से ज्यादा है तो राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग याचिका पर कार्रवाई करेगा।
कहां कितना होगा खर्चा
जिला फोरम में:
-एक लाख के क्लेम के लिए-100 रुपये
-एक से पांच लाख के लिए-200 रुपये
-5 से 10 लाख के लिए- 400 रुपये
-10 लाख से ज्यादा और 20 लाख तक- 500 रुपये
राज्य फोरम
-20 लाख से ज्यादा लेकिन 50 लाख से काम-2000 रुपये।
50 लाख से ज्यादा और 1 करोड़ रुपये तक-4000 रुपये।
राष्ट्रीय आयोग
-करीब 5000 रुपये
इनकी खामियों की कर सकते हैं शिकायत:
-निचले दर्जे का काम।
-बिना मंजूरी के कंस्ट्रक्शन करना।
-गैर कानूनी अधिकृत जमीन पर कंस्ट्रक्शन।
-बुकिंग में धोखाधड़ी।
-जमीन के इस्तेमाल, लेआउट प्लान और मंजूर किए गए ढांचे में बदलाव।
-छिपे हुए चार्जेज।
-अन्य बढ़े हुए विकास शुल्क।
-प्रोजेक्ट रद्द करना।
-दी हुई राशि को जब्त करना।
-पोजेशन देने में देरी।
-तीसरे पक्ष को फायदा पहुंचाना।
-काम पूरा होने का सर्टिफिकेट न देना।
इसके अलावा किसी भी तरह के कन्फ्यूजन या फोन पर शिकायत दर्ज कराने के लिए लोग कंज्यूमर हेल्पलाइन नंबर 1800-11-4000 पर मदद ले सकते हैं।