आधार कार्ड का इस्तेमाल कर घर बैठे करें प्रॉपर्टी का ई-रजिस्ट्रेशन
भूमि का मालिक कौन है, वर्षों से यह संपत्ति विवाद का मुख्य कारण रहा है। हाथ से लिखे हुए रिकॉर्ड्स समय के साथ कई हाथों से गुजरते हैं और बाद में उसके कानूनी वंशज और असली मालिकों के बीच मतभेद पैदा हो जाते हैं। एेसे में ई-रजिस्ट्रेशन एक क्रांतिकारी कदम है। साल 2002 में पहली बार लैंड रजिस्ट्रेशन एक्ट लागू किया गया, जिसने पुराने 1925 के कानून की जगह ली। इसी के साथ ई-रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया।
ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक आपकी पहचान सुनिश्चित करने के लिए अब आधार कार्ड को विभिन्न ई-रजिस्ट्रेशन साइट्स से जोड़ दिया गया है। इसके अलावा जहां संपत्ति का मालिकाना हक किसी और को नहीं दिया गया, उसके भी लेनदेन में इसका इस्तेमाल हो रहा है।
भारतीय विशिष्ठ पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के सीईओ अजय भूषण पांडे ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, एक बार इसके लिंक होने के बाद आपको प्रॉपर्टी रजिस्टर करने के लिए रजिस्ट्रार के दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। इसके जरिए आप न सिर्फ प्रॉपर्टी पर नजर रख पाएंगे, बल्कि बदलाव भी कर सकेंगे। घर बैठे ही आपके पास इसे रजिस्टर करने का विकल्प होगा। प्रॉपर्टी रजिस्टर कराने के लिए दो गवाहों की जरूरत पड़ती है, इसलिए उनकी भी बायोमीट्रिक जानकारी हासिल कर की जा सकती है। यह इसे पारदर्शी और सुविधाजनक बनाता है। ई-रजिस्ट्रेशन के कारण न सिर्फ अथॉरिटी अॉफिस के चक्कर काटने के झंझट से मुक्ति मिलती है बल्कि इसके जरिए आप इस बात का रिकॉर्ड भी रख सकते हैं कि प्रॉपर्टी का कब कौन मालिक था। अगर आप किसी प्रॉपर्टी के बैकग्राउंड के बारे में जानने के इच्छुक हैं तो यह जानकारी सिर्फ एक क्लिक दूर है। आधार की जानकारी यह जरूरी बनाता है कि सभी नए खरीदारों को साफ रिकॉर्ड रखने हैं। इससे रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता भी आएगी। छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, सिक्किम और पश्चिम बंगाल में तो ई-रजिस्ट्रेशन की शुरुआत भी हो चुकी है। इन राज्यों को आधार संबंधित पंजीकरण में भी आगे बढ़ना होगा। लेकिन इसके लिए साल 2002 के भूमि पंजीकरण कानून के सेक्शन 69 में संशोधन की जरूरत होगी।
30 सरकारी स्कीमों के लिए जरूरी आधार: वर्तमान समय में केंद्र सरकार की हर स्कीम आधार कार्ड से लिंक है। विकलांग्ता/विधवा पेंशन स्कीम हो या ग्रामीण रोजगार। प्रधानमंत्री आवास योजना हो या एजुकेशन स्कॉलरशिप। कल्चर अॉर्गनाइजेशन, हाउजिंग सब्सिडी, इंडस्ट्रियल एंड मैनुफैक्चरिंग वर्कर्स और एक लाख रुपये तक के होम लोन पर ब्याज सब्सिडी पाने के लिए भी आधार की जरूरत है। लेकिन रियल एस्टेट सेक्टर के लिए आधार को बड़े रूप में लाने की शुरुआत करनी होगी। साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया था कि किसी भी सरकारी स्कीम का लाभ पाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है। हालांकि सरकारी संस्थाओं को स्कीम और बैंक अकाउंट्स में आधार को लिंक करने की अनुमति थी।
यह हैं चुनौतियां: भले ही सुनने में यह सब आसान लगे, लेकिन टेक्नोलॉजी में चुनौतियां भी बहुत हैं। मध्यप्रदेश में जब घर खरीदारों के लिए ई-रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया तो उन्हें कम स्पीड, नेटवर्क न आना जैसी परेशानियों से रूबरू होना पड़ा था। वहीं सिस्टम में कोई खराबी आने का मतलब है घंटों इंतजार और अगले दिन लंबी कतारें।
नोट: सरकार ने साफ किया है कि 15 जून 2017 को जिस लेटर में कैबिनेट सचिवालय की ओर से भूमि रिकॉर्ड्स को आधार से लिंक कराने के निर्देश दिए गए थे, वह झूठ है।