क्या अॉक्युपेंसी सर्टिफिकेट मिलने से पहले आपको आखिरी भुगतान करना चाहिए?
घर ग्राहकों के लिए अॉक्युपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) एक बेहद जरूरी दस्तावेज होता है। इसे आम भाषा में अधिवास प्रमाणपत्र भी कहा जाता है। ओसी और कंप्लीशन सर्टिफिकेट में कन्फ्यूज होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि ये दोनों अलग-अलग हैं। अॉक्युपेंसी सर्टिफिकेट यह सुनिश्चित करता है कि रिहायशी अपार्टमेंट में साफ-सफाई, पानी, बिजली और अन्य बुनियादी सुविधाओं को जगह दी गई है। वहीं कंप्लीशन सर्टिफिकेट का मतलब होता है कि प्राधिकरण ने घर खरीदारों के लिए एक रिहायशी अपार्टमेंट को पास करने लायक माना है। कोई भी प्राधिकरण यह जरूर देखता है कि क्या बिल्डिंग को मंजूर किए गए प्लान के तहत बनाया गया है और उसका लेआउट और स्पेसिफिकेशंस इलाके के बिल्डिंग नियमों के मुताबिक है या नहीं। अगर सब ठीक है तो प्राधिकरण इसे मंजूरी देकर डिवेलपर को कंप्लीशन सर्टिफिकेट दे देता है। इसके मिलने के बाद डिवेलपर प्राधिकरण से ओसी सर्टिफिकेट की मांग करता है।
अॉक्युपेंसी सर्टिफिकेट और पोजेशन लेटर के बारे में कुछ अहम बातें:
अब सवाल उठता है कि क्या ओसी मिलने से पहले ग्राहक को अंतिम भुगतान कर देना चाहिए? हालांकि सलाह दी जाती है कि एेसा नहीं करना चाहिए, लेकिन ग्राहक और डिवेलपर के बीच हुए समझौते की शर्तों पर काफी कुछ निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, अगर समझौते में लिखा है कि अॉक्युपेंसी सर्टिफिकेट खरीदार को अंतिम भुगतान करने के तीन महीने बाद दिया जाएगा और खरीदार ने इस पर दस्तखत किए हैं तो दोनों पार्टियों को इस कॉन्ट्रैक्ट को मानना होगा। हाल ही में देवेंद्र फडणवीस की नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार ने राजधानी मुंबई में डिवेलपर्स के खिलाफ सख्त रुख अपनाने का फैसला किया है। शहर की करीब 56000 इमारतों के पास ओसी नहीं है, जिससे मामला और भी गंभीर हो जाता है। एेसे मामलों में होती बढ़ोतरी पर नकेल कसने का बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) ने भी समर्थन किया है। इतना ही नहीं, अगर डिवेलपर ओसी देने में देरी, ओसी से पहले पोजेशन या इसे देने से मना करता है तो ग्राहक शिकायत दर्ज करा सकता है। इसके अलावा ग्राहक डिवेलपर से देरी की अवधि के दौरान किराये की भी मांग कर सकता है। इस वक्त आप शायद सोच रहे होंगे कि पोजेशन मिलने से पहले आपको पूरी रकम का भुगतान कर देना चाहिए? लेकिन हम आपको सलाह देते हैं कि बिक्री समझौते के नियमों का पालन करें। अगर आप एेसा नहीं करते हैं तो डिवेलपर आपके अग्रीमेंट को रद्द भी कर सकता है। हालांकि अगर डिवेलपर सौदे में लिखी अपनी बात पर कायम नहीं रहता तो आपके पास सिर्फ एक ही रास्ता बचता है कि उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें। यह इसलिए क्योंकि हर ग्राहक और विक्रेता के बीच समझौते में हर लेवल और आपको डिवेलपर को कितना भुगतान करना है के बारे में लिखा होता है। आपको अपनी ओर से स्पष्ट रहना है।
क्या होता है फिट आउट पोजेशन?: एक ही समय पर रेंट और ईएमआई के बीच बैलेंस बनाना हर किसी के लिए मुश्किल होता है। एेसे में अगर आपको खर्च बचाने का मौका मिले तो आप जरूर खुश होंगे। अगर आपका बिल्डर कहता है कि वह आपको एक फिट आउट लेटर देगा और आप फ्लैट की पोजेशन ले सकते हैं, क्योंकि ओसी के तैयार होने में थोड़ा वक्त लगेगा तो लिखित समझौता आपको वह अॉफर स्वीकार करने पर मजबूर कर सकता है। लेकिन यह गैर कानूनी है। CREDAI जैसी बिल्डर संस्थाओं का कहना है कि ओसी के बिना फिट आउट स्वीकार करना असुरक्षित है।
ओसी के बारे में कानून क्या कहता है?
कौन इसे इश्यू करता है: स्थानीय कानूनों के तहत किसी भी इमारत के कब्जे के लिए प्राधिकरण एक ओसी जारी करता है, जिसमें बुनियादी सुविधाओं जैसे पानी, साफ-सफाई और बिजली का प्रावधान होता है। अगर कोई राज्य एक ही पेपर कंप्लीशन या ओसी जारी करता है तो यह दस्तावेज दोनों मकसदों को पूरा करता है।
कौन है जिम्मेदार? कंप्लीशन सर्टिफिकेट, अॉक्युपेंसी सर्टिफिकेट या दोनों को नियमों एवं कानूनों के तहत प्राधिकरण से हासिल करने की जिम्मेदारी डिवेलपर की होती है, ताकि उन्हें घर खरीदारों को मुहैया कराया जा सके।
स्थानीय कानून न हों तब? अॉक्युपेंसी सर्टिफिकेट के जारी होने के तीन महीने के भीतर प्रमोटर को अलॉटी, उसके समूहों या फिर प्राधिकरण के नाम पर एक कनवेयंस डीड तैयार करानी होती है।
आपको कब पोजेशन लेनी चाहिए? हर ग्राहक को अॉक्युपेंसी सर्टिफिकेट मिलने के 2 महीने की अवधि के भीतर अपार्टमेंट, प्लॉट या बिल्डिंग का पोजेशन ले लेना चाहिए।