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गैर विभाजित हिंदू परिवार में ये हैं आपके अधिकार, बेटियां भी हैं इसका हिस्सा

September 27, 2017   |   Sneha Sharon Mammen
प्रॉपर्टी कानूनों से जुड़े मामलों में हिंदू गैरविभाजित परिवार (HUF) शब्द काफी बार इस्तेमाल किया जाता है। एचयूएफ का मतलब वह लोग जो एक ही पूर्वज की संतान हैं। इसमें पत्नियां और कुंवारी बेटियां भी शामिल हैं। हिंदुओं के अलावा एचयूएफ कानून में जैन, सिख और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग भी आते हैं। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि एचयूएफ से संबंधित सभी संपत्तियों को संयुक्त संपत्ति माना जाएगा। भारतीय कानून के तहत संपत्ति पर परिवार के सभी लोगों का समान हक है। गैर विभाजित परिवार के लोग सिर्फ खुद ली गई संपत्ति पर हक जता सकते हैं। 
 
इस विषय के बारे में ये बातें जाननी बहुत जरूरी हैं:
 
*एचयूएफ में एक ही परिवार के कई लोग आते हैं और अतिरिक्त परिवार में महिलाएं शामिल हैं। वहीं सहदायिक 4 पीढ़ियों तक सीमित होते हैं-पिता, बेटा, पोते और पड़पोते। 2005 के बाद महिलाएं भी सहदायिक हैं। ध्यान रखें कि सहदायिकी किसी आम पुरुष पूर्वज के बिना शुरू नहीं हो सकती। 
 
*एचयूएफ का कॉन्सेप्ट प्रॉपर्टी फॉर अॉल पर आधारित नहीं है। एक परिवार, जिसके पास कोई संपत्ति नहीं है, वह भी एचयूएफ हो सकता है। 
 
*सहदायिक संपत्ति के बंटवारे का अधिकार मांग सकते हैं। दूसरे सदस्य भी सहदायिक के जरिए ही क्लेम कर सकते हैं, सीधे तौर पर नहीं। 
 
*एक कुंवारी बेटी भी एचयूएफ का हिस्सा है। उसकी शादी के बाद वह पति के एचयूएफ में शामिल हो जाती है। लेकिन साल 2005 के बाद महिला (बेटी) चाहे शादीशुदा हो या कुंवारी, वह बेटे की तरह पिता के परिवार में सहदायिक है। मगर अपने पति के एचयूएफ में वह सहदायिक नहीं है, सिर्फ सदस्य है। उसका हिस्सा केवल उसके पति की व्यक्तिगत संपत्ति, संयुक्त संपत्ति या बेटे के हिस्से के तौर पर होगा।  
 
*एक अकेला पुरुष एचयूएफ नहीं बना सकता।
 
*हिंदू दत्तक ग्रहण और रखरखाव अधिनियम, 1956 और हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के बाद यह साफ हो गया है कि विधवा महिलाओं का अपने पति की संपत्ति में अधिकार होता है और दूसरी शादी या गोद लिए जाने के बाद भी खारिज नहीं होगा। इससे पहले एक मृतक पति की संपत्ति एचयूएफ के भीतर आगे बढ़ सकती थी।
 
*एक एचयूएफ के सदस्य अनजान शख्स से भी गिफ्ट ले सकते हैं। सीआईटी बनाम सत्येंद्र कुमार (1998) 232 आईटीआर 360 (एससी) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इसे बरकरार रखा था। मां के द्वारा दिया गया गिफ्ट भी एचयूएफ प्रॉपर्टी हो सकता है। 
 
*कानून के तहत, शादी के बाद बेटा अपने पिता के एचयूएफ का सदस्य और सहदायिक रहता है। वह मौजूदा एचयूएफ में खुद एक एचयूएफ बनाता है। अपने एचयूएफ में उसे कर्ता कहा जाता है। 
 
*अगर पिता की मौत हो जाती है और उसके परिवार में सिर्फ पत्नी और बेटी हैं तो पिता द्वारा कमाई सारी संपत्ति पत्नी और बेटी के पास चली जाएगी। पैतृक संपत्ति को  एचयूएफ का हिस्सा माना जाता है और इस पर एचयूएफ के अन्य सदस्य दावा कर सकते हैं। लेकिन अगर एचयूएफ में पिता के नाम पर विभाजित हिस्सा है तो वह पत्नी और बेटी के पास चला जाएगा। 
 
*साल 2005 के बाद महिलाएं अपनी व्यक्तिगत संपत्ति को एचयूएफ में जोड़ सकती हैं, क्योंकि वह सहदायिक हैं। इससे पहले महिलाओं की व्यक्तिगत संपत्ति को एचयूएफ में जॉइंट फैमिली में जोड़ने की इजाजत नहीं दी जाती थी।  



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