चेक बाउंस हुआ तो झेलना पड़ेगा कोर्ट का डंडा, बैंक रद्द कर सकता है अकाउंट
चेक कई वजहों से बाउंस हो सकता है। अकाउंट में फंड न होना और दस्तखत का मेल न खाना भी इसका कारण हो सकते हैं। लेकिन अगर चेक बाउंस हो जाए तो क्या करें?
आपराधिक शिकायत दर्ज कराएं: अगर चेक पहली बार बाउंस होता है तो बैंक एक चेक रिटर्न मेमो देता है। इसमें भुगतान क्यों नहीं हुआ, यह लिखा रहता है। बैंक इस मेमो में लिखी तारीख के तीन महीने के भीतर फिर से चेक जमा कराने को कहता है। दूसरा तरीका है डिफॉल्टर से कानूनी तौर पर निपटना। सबसे पहले चेक रिटर्न मेमो मिलने के 30 दिनों के भीतर डिफॉल्टर को लीगल नोटिस भेजा जाता है। इसमें मामले से जुड़े सभी अहम तथ्य जैसे लेनदेन की प्रकृति, चेक डिपॉजिट कराने की तारीख और अमाउंट, कब यह बाउंस हुआ लिखे होने चाहिए। अगर चेक देने वाला नोटिस मिलने के एक महीने के भीतर फ्रेश पेमेंट करने में नाकाम रहता है तो आपको नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के सेक्शन 138 के तहत आपराधिक शिकायत दर्ज कराने का अधिकार है।
यह भी ध्यान रखें कि अगर आपने 30 दिन के भीतर शिकायत दर्ज नहीं कराई तो कोर्ट मामले की सुनवाई करने से इनकार कर सकता है, अगर आपके पास देरी के लिए कोई उचित कारण नहीं है तो। शिकायत मिलने के बाद कोर्ट मामले को सुनेगा। अगर डिफॉल्टर दोषी पाया जाता है तो उस पर चेक की राशि का दोहरा जुर्माना और दो साल की कैद की सजा सुनाई जा सकती है।
हालांकि कानून डिफॉल्टर को भी यह अधिकार देता है कि वह निचली अदालत में सुनवाई की तारीख के एक महीने भीतर सेशंस कोर्ट में अर्जी दे सकता है। इसके अलावा धोखाधड़ी के मामले की आईपीसी के सेक्शन 420 के तहत भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है, लेकिन ऊपर बताया गया तरीका चेक बाउंस के मामलों का है।
सिविल केस फाइल करने पर: आपराधिक मामला दायर करने पर डिफॉल्टर तेजी से काम करेगा, लेकिन जरूरी नहीं कि इससे बकाया राशि वापस मिल जाए। इसलिए सलाह दी जाती है कि चेक की राशि पाने के लिए राशि वहन और गंवाए हुए ब्याज को लेकर एक अलग सिविल केस फाइल किया जाए। नोटिफाइड नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स (संशोधन) एक्ट के तहत शिकायतकर्ता उस शहर में केस फाइल कर सकता है, जिसमें वह रहता हो या जहां चेक डिपॉजिट किया गया। इससे पीड़ित के लिए कानूनी एक्शन लेने में आसान होगी।
अपवाद: ये उपाय केवल तभी उपलब्ध हैं यदि बकाया ऋण या देयता साबित हो गया है। उदाहरण के तौर पर अगर चेक बतौर गिफ्ट या डोनेशन जारी किया गया है तो डिफॉल्टर पर केस नहीं चलाया जा सकता।
डिफॉल्टर्स के सामने चुनौतियां: अगर आप बार-बार यह अपराध करते हैं तो जेल और जुर्माने के अलावा बैंक चेक बुक सुविधा रोककर आपका अकाउंट बंद भी कर सकता है। लेकिन रिजर्व बैंक अॉफ इंडिया (आरबीआई) के मुताबिक यह तभी किया जा सकता है, अगर एक करोड़ की कीमत का चेक 4 बार बाउंस हो चुका हो।