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ढीली होगी ग्राहकों की जेब, जीएसटी के तहत चुकाना होगा ज्यादा मेंटेनेंस चार्ज

July 23 2019   |   Sunita Mishra
1 जुलाई के बाद से ग्राहकों को गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानी जीएसटी के तहत सामान खरीदना पड़ रहा है। जीएसटी के कारण ग्राहकों को कई चीजें पहले के मुकाबले सस्ते दामों पर मिल रही हैं। वहीं घर खरीदारों को मकान खरीदने के लिए 12 प्रतिशत जीएसटी चुकाना पड़ रहा है। पहले ग्राहकों को अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टीज खरीदने के लिए कई तरह के टैक्स जैसे सर्विस टैक्स और वैट का भुगतान करना पड़ता था, जिससे कीमत बढ़ जाती थी और ग्राहकों की जेब ज्यादा ढीली होती थी। रियल एस्टेट सेक्टर में भी भारी टैक्स लगता था, इसलिए 12 प्रतिशत जीएसटी का सभी ने दिल खोलकर स्वागत किया। इसमें जमीन की कीमत और पूरा इनपुट टैक्स क्रेडिट शामिल है। मई में अखबार द मिंट ने डीएलएफ के चीफ एग्जीक्युटिव अॉफिसर और नेशनल रियल एस्टेट डिवेलपमेंट काउंसिल (NAREDCO) के चेयरमैन राजीव तलवार के हवाले से लिखा था कि जीएसटी के तहत असल कर प्रभाव या तो वर्तमान टैक्स (उस वक्त के वैट और सर्विस को मिलाकर) के जितना होगा या उससे कम। उन्होंने उस वक्त कहा था कि इस बारे में फिर भी काफी स्पष्टता चाहिए कि क्या किफायती आवास मौजूदा टैक्स सिस्टम के तहत और किफायती हो जाएगा। तलवार ने कहा था, ऐसी कुछ चीजें हैं, जिसके साफ होने का हम इंतजार कर रहे हैं जैसे कि किफायती आवास जीएसटी के दायरे से बाहर रहेगा या नहीं। 4 महीने पहले कहा जा रहा था कि घर खरीदना जीएसटी के तहत सस्ता हो सकता है, लेकिन नए टैक्स सिस्टम के तहत उसमें रहना महंगा। मेंटेनेंस चार्ज के नाम पर फ्लैट के मालिकों को 18 प्रतिशत जीएसटी देना पड़ रहा है। जबकि पहले यह 15.55 प्रतिशत देना होता था। इसमें 15 प्रतिशत सर्विस टैक्स, 0.5 स्वच्छ भारत टैक्स और 0.05 प्रतिशत गैर कृषि कर शामिल था। जीएसटी के कारण रेट में बदलाव होने से घर खरीदारों पर 2.5 प्रतिशत अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। यह उन प्रॉपर्टी मालिकों पर लागू होगा, जो मेंटेनेंस चार्ज के तौर पर 5000 रुपये से ज्यादा दे रहे हैं । हालांकि इसमें यूटिलिटी बिल, प्रॉपर्टी टैक्स या स्टैंप ड्यूटी शामिल नहीं है। इसी तरह जो आवासीय सोसाइटीज फ्लैट मालिकों से मेंटेनेंस चार्ज वसूलती हैं और जिनका सालाना बैलेंस 20 लाख से ज्यादा है, उन्हें यह चार्ज चुकाना होगा। इस मामले में यूटीलिटी बिल, स्टैंप ड्यूटी और प्रॉपर्टी टैक्स नहीं गिना जाएगा। वहीं अगर किसी आवासीय सोसाइटी में मेंटेनेंस या रेनोवेशन का काम चल रहा है और खरीदार ने सीमेंट, पेंट या स्टील जैसे सामान खरीदे हैं तो जीएसटी के तहत भुगतान की हुई कुल राशि पर टैक्स कम हो जाएगा। सरकार ने अपने नोटिफिकेशन में कहा है कि सामान्य इस्तेमाल के लिए तीसरे शख्स से सामान या सेवाओं की सोर्सिंग के लिए प्रति सदस्य प्रति माह 5,000 रुपये की राशि या योगदान की हिस्सेदारी प्रतिपूर्ति जीएसटी के तहत उत्तरदायी नहीं है। वहीं लग्जरी हाउसिंग जहां क्लब हाउस, स्विमिंग पूल, स्पा / सॉना और क्लबहाउस जैसी सुविधाओं के कारण मेंटेनेंस कॉस्ट ज्यादा है। सहकारी आवास सोसाइटी (सीएचएस) का सालाना कलेक्शन 20 लाख से अधिक हो सकता है, इसलिए ये भी जीएसटी के दायरे में आते हैं। हालांकि व्यापारिक संस्थाओं के अलावा लोगों को सरकारी या स्थानीय प्राधिकरण जो सुविधाएं मुहैया कराते हैं, उन्हें जीएसटी से छूट मिली हुई है। लेकिन सीएचएस के बकाए के भुगतान के लिए सिंकिंग फंड, रिपेयर एंड मेंटेनेंस फंड, कार पार्किंग चार्जेज, नॉन अॉक्युपेंसी चार्जेज या साधारण ब्याज पर जीएसटी लगाया जाएगा, क्योंकि ये सुविधाएं पहुंचाने के लिए कलेक्ट किए जाते हैं।



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