इन 10 तरीकों से जानिए किस मंजिल पर घर लेना आपके लिए हो सकता है फायदेमंद
February 27, 2024 |
Proptiger
जब ग्राहक घर खरीदने के बारे में सोचता है तो वह अकसर कन्फ्यूज रहता है। वह सोचता है कि घर किस मंजिल पर लें? भारत के ज्यादातर शहरों में अब खड़ी इमारतें बन रही हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों के लिए जगह बनाई जा सके। इसलिए भारत में रियल एस्टेट डिवेलपर्स लग्जरी और किफायती श्रेणियों में हाई राइज प्रोजेक्ट्स बना रहे हैं। इसका मकसद हर आय वर्ग के घर खरीदारों तक बड़ी पहुंच बनाना है। अगर आप बतौर घर खरीदार यह जानना चाहते हैं कि हाई राइज रिहायशी इमारत में कौन सी मंजिल पर घर खरीदना सही रहेगा तो हम आपकी मुश्किल आसान कर देते हैं। ऊंची या नीची, हर मंजिल पर रहने के अपने फायदे और नुकसान होते हैं। कोई भी फैसला करने से पहले हर चीज को देखें और फिर इस नतीजे पर पहुंचे कि आपकी लाइफ स्टाइल के लिए कौन का फ्लोर बेस्ट है।
प्रॉपटाइगर आपको कुछ एेसे अहम फैक्टर बताने जा रहा है, जो आपको सही फ्लोर घर खरीदने में आ रही मुश्किलों को सुलझाने में मदद करेगा:
नजारा: यह बात सही है कि ऊंची मंजिल पर घर लेने से आपको व्यू (नजारा) अच्छा मिलेगा, खासकर अगर आपका टावर किसी समुद्र या बीच के आसपास मौजूद है तो। अगर आप अपनी बालकनी में बैठकर चाय की चुसकियां लेते हुए इस खूबसूरत नजारे का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो ऊंची मंजिल पर घर ले सकते हैं।
रेंटल रिटर्न्स: प्रॉपर्टी सर्वे में यह बात साबित हुई है कि अगर आपका फ्लोर नीचे है तो आपको बेहतर रेंटल रिटर्न्स मिल सकते हैं। इसका मतलब है आप अपना घर किराए पर देकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, क्योंकि अकसर भारतीय लोग जमीन के पास रहना पसंद करते हैं। अगर आप प्रॉपर्टी इन्वेस्टमेंट के मद्देनजर खरीद रहे हैं तो हाई राइज बिल्डिंग में ग्राउंड फ्लोर आपके लिए सही रहेगा। गौरतलब है कि दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में लोग ऊपर की मंजिलों पर घर लेना पसंद करते हैं, जबकि दिल्ली/एनसीआर और चेन्नई में ग्राउंड फ्लोर पर। इन शहरों में जलवायु अलग होना भी पसंद अलग-अलग होने की वजह है।
प्राइवेसी: भीड़भाड़ वाले इलाकों में नीचे फ्लोर पर रहने से आपको उतनी प्राइवेसी नहीं मिल पाएगी। अगर आप अकेले और बार-बार डिस्टर्ब नहीं होना चाहते तो हाई फ्लोर पर घर लेना आपके लिए सही है।
शोर-शराबा: कई घर ग्राहक ऊंची मंजिलों पर घर लेना इस सिर्फ इसलिए पसंद करते हैं, ताकि सड़क पर या बिल्डिंग के कॉरिडोर में होने वाला शोर-शराबा उन्हें न सुनाई दे। वहीं अगर घर ग्राउंड फ्लोर पर है और वह सीढ़ियों, लिफ्ट और क्लब हाउस से दूर है तो आवाज आपके लिए कोई मुद्दा नहीं होनी चाहिए।
ऊर्जा की खपत: शायद आप न जानते हों, लेकिन जितना आप ऊंचे फ्लोर पर घर लेते हैं, ऊर्जा की खपत उतनी ही ज्यादा होती है। एेसा इसलिए है, क्योंकि गर्मियों के दिनों में आपको एयर-कंडीशनर काफी वक्त तक चलाना पड़ता है। इसके अलावा पानी पहुंचाने के लिए मोटर पंप में भी ज्यादा ऊर्जा लगती है।
सिक्योरिटी: यह बात आप भी मानेंगे कि ग्राउंड फ्लोर पर घर होने से अपराध होने का रिस्क ज्यादा होता है, क्योंकि गुंडे या बदमाशों के लिए निचले अपार्टमेंट्स में घुसना आसान होता है। हालांकि यह सब हाई-राइज बिल्डिंग के स्ट्रक्चर के अलावा मैनेजरमेंट ने सोसाइटी की सुरक्षा के लिए जो कदम उठाए हैं, उस पर भी निर्भर करता है।
पहुंच: हम सभी लोगों के लिए लिफ्ट के आने का इंतजार करना मुश्किल होता है। अगर आप ग्राउंड फ्लोर या पहली, दूसरी मंजिल पर रहते हैं तो आप सीढ़ियों के जरिए भी पहुंच सकते हैं। लेकिन अगर आपका घर आठवीं या नौवीं मंजिल पर है तो लिफ्ट के लिए हमेशा इंतजार तो करना ही होगा।
जॉइंट फैमिली: अगर बच्चों के अलावा आपके पैरंट्स भी साथ रहते हैं तो ग्राउंड फ्योर पर घर लेना ही आपके लिए बेस्ट होगा। सेफ्टी के अलावा यह सुविधाजनक भी है। साथ ही अगर परिवार में कोई चलने-फिरने में असमर्थ हो या उसे ऊंचाई से डर लगता हो तब भी ग्राउंड फ्लोर पर घर लेने में समझदारी है।
लाइट और वेंटिलेशन: जो फ्लैट ग्राउंड फ्लोर पर होते हैं, वहां ऊंचाई वाले मकानों के मुकाबले सीमित रोशनी और वेंटिलेशन होती है। इसके अलावा ऊंचाई वाले फ्लैट्स में मच्छर भी नहीं होते हैं।
पानी टपकना: यह भी देखा गया है कि टॉप और ग्राउंड फ्लोर पर सबसे ज्यादा पानी टपकने और उसकी निकासी की समस्या आती है। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि बिल्डिंग का ड्रेनेज और सैनेट्री सिस्टम कैसा है। हमें उम्मीद है कि यह टिप्स आपकी चॉइस बेहतर करने में मदद करेंगे।