जेवर में निवेशकों को दोहरा फायदा, एयरपोर्ट की मंजूरी के बाद अब पहुंचेगी मेट्रो
घर या ऑफिस के पास सारी सुविधाएं हों, यह कौन नहीं चाहता। अकसर लोग या निवेशक ऐसे ही इलाके में निवेश करने की इच्छा रखते हैं, जहां से न सिर्फ उन्हें फायदा मिले, बल्कि लोगों की आवाजाही भी होती रहे। पिछले कुछ महीनों में निवेशकों की नजरें एक जगह पर गड़ी हुई है, जिसे आने वाले वर्षों में बड़े कमर्शियल हब के रूप में देखा जा रहा है। वह जगह है उत्तर प्रदेश का जेवर। अगर आप भी इस जगह को निवेश की नजर से देख रहे हैं तो आपके लिए खुश होने का एक और मौका है, क्योंकि नेशनल कैपिटल रीजन यानी एनसीआर के दूसरे एयरपोर्ट तक अब मेट्रो भी पहुंचेगी। यह बात खुद राज्य सरकार ने केंद्र को बताई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह मौजूदा ग्रेटर नोएडा मेट्रो लाइन का जेवर एयरपोर्ट तक विस्तार करेगी। इसका मतलब है कि परी चौक से आगे मेट्रो को बढ़ाया जाएगा। राज्य सरकार ने यमुना एक्सप्रेस वे इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट अथॉरिटी (YEIDA) को एयरपोर्ट स्थापित करने के लिए बतौर नोडल एजेंसी चुना है। इस प्रोजेक्ट के पहले चरण के लिए राज्य सरकार अथॉरिटी को चार हजार करोड़ रुपये देगी। इसी साल जून में केंद्र सरकार ने ग्रेटर नोएडा के जेवर में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट को मंजूरी दी थी। नागरिक उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू ने 24 जून को पत्रकारों से बातचीत में बताया था कि एनसीआर की बढ़ती उड्डयन जरूरतों को देखते हुए केंद्र सरकार ने ग्रेटर नोएडा के जेवर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को मंजूरी दी है। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के इस दूसरे एयरपोर्ट से अगले 10-15 वर्षों में हर साल 30-50 मिलियन यात्री उड़ान भरेंगे। रियल एस्टेट मार्केट को फायदा पहुंचाने वाले अन्य बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की तरह जेवर एयरपोर्ट भी नोएडा और उसके आसपास के इलाकों के प्रॉपर्टी मार्केट के समीकरणों को बदल कर रख देगा।
एनसीआर के रियल एस्टेट को कैसे प्रभावित करेगा जेवर एयरपोर्ट?
कहां है जेवर?: पहले जेवर उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन अब गौतम बुद्ध नगर जिले के तहत एक नगर पंचायत है। एनसीआर का हिस्सा होने के बावजूद कुल 32,269 की आबादी वाले इस इलाके में अब भी विकास कार्यों का पूरी तरह से होना बाकी है।
जेवर में निवेश: एयरपोर्ट बनने के मद्देनजर रियल एस्टेट डिवेलपर्स ने इलाके के आसपास भारी निवेश किया है। हालांकि प्रॉपर्टी मार्केट में गिरावट होने से मुश्किलें तो आई हैं, लेकिन जेवर एयरपोर्ट प्रॉपर्टी कीमतों को सकारात्मक तरीके से प्रभावित जरूर करेगा।
जेवर में ही एयरपोर्ट क्यों?: अगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ शहरों के लोगों को एयरपोर्ट जाना हो तो वह कम से कम 2 घंटे के सफर के बाद दिल्ली पहुंचते हैं। जेवर में एयरपोर्ट बनने के बाद इन लोगों के लिए हवाई सफर और आसान हो जाएगा।
सस्ते विकल्प: चूंकि यह सरकार के रीजनल कनेक्टिविटी योजना का हिस्सा है, इसलिए उम्मीद है कि प्रस्तावित जेवर एयरपोर्ट यात्रियों को सस्ते विकल्प मुहैया कराएगा।
जमीन मालिकों की चांदी: एयरपोर्ट बनाने के लिए 2,378 एकड़ की जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया है। राज्य सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलप करना चाहती है, लिहाजा जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया को आसान बनाया गया है, जिससे जेवर में जमीन धारकों को ज्यादा वित्तीय मुनाफा होगा। मेट्रो कनेक्टिविटी के साथ एरिया मुहैया कराए जाने की योजना से निवेशकों की संभावनाओं में और सुधार आएगा।