जानिए क्यों अॉक्युपेंसी सर्टिफिकेट के बिना बिल्डिंग में रहना है गैरकानूनी
December 05, 2014 |
Rupanshi Thapa
जब हम कोई नई प्रॉपर्टी खरीदते हैं तो ज्यादातर कानूनी प्रक्रियाओं और दस्तावेजों में ही फंसे रहते हैं। यह चेक नहीं करते कि क्या प्रॉपर्टी को अॉक्युपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) मिला है या नहीं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एेसी बिल्डिंगों में रहना कितना खतरनाक हो सकता है, जिसे अॉक्युपेंसी सर्टिफिकेट न मिला हो।
ओसी बिल्डिंग के लिए पानी, बिजली की सप्लाई, गिरवी या फ्लैट की बिक्री के दौरान काम आने वाला अहम दस्तावेज है। यह सर्टिफिकेट लेना बिल्डर की जिम्मेदारी है। लेकिन इतना अहम सर्टिफिकेट होने के बाद भी कुछ ही बिल्डर कानूनी प्रक्रिया का पालन कर इसे जारी कराते हैं। इसे न लेने का खामियाजा बिल्डिंग में रहने वाले लोगों को भविष्य में भुगतना पड़ता है। खुद को परेशानियों से बचाने के लिए आपको अॉक्युपेंसी सर्टिफिकेट के बारे में ये बातें जाननी बहुत जरूरी हैं।
क्या है अॉक्युपेंसी सर्टिफिकेट?
अॉक्युपेंसी सर्टिफिकेट इस बात का सबूत है कि बिल्डिंग का काम स्थानीय कानूनों और मंजूर किए गए प्लान के तहत हुआ है। इसे कंप्लीशन सर्टिफिकेट भी कहा जाता है। यह स्थानीय निकाय जैसे शहर की म्युनिसिपैलिटी या सिटी कॉरपोरेशन जारी करती है। कानून के मुताबिक एक बिल्डर तब तक ग्राहकों को पोजेशन नहीं दे सकता, जब तक उसने अॉक्युपेंसी सर्टिफिकेट हासिल न कर लिया हो।
आसान भाषा में अॉक्युपेंसी सर्टिफिकेट न होने का मतलब है कि बिल्डिंग को शायद स्थानीय कानूनों के मुताबिक नहीं बनाया गया है। इसे अस्वीकृत ढांचा बताकर गिराया भी जा सकता है। ओसी इस बात का सबूत है कि बिल्डिंग को तय मानकों के मुताबिक बनाया गया है और यह रहने के लिए मुफीद है।
अगर बिल्डिंग को अॉक्युपेंसी सर्टिफिकेट नहीं मिला है तो आपको यह परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं:
1.सबसे पहले अॉक्युपेंसी सर्टिफिकेट जारी नहीं होना कानून का उल्लंघन है। इसलिए खून-पसीने की कमाई लगाने के बाद भी आप कानूनी कार्यवाही के कारण उसमें रह नहीं पाएंगे। यह सर्टिफिकेट लेना बिल्डर की जिम्मेदारी है, लेकिन कई बार वह कानूनी प्रक्रिया का पालन करने के बजाय अधिकारियों को पैसा देकर ओसी हासिल करने की कोशिश करते हैं। इससे बाद में आम जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
2. लोन मंजूर करने के लिए बैंक आमतौर पर अन्य दस्तावेजों के साथ अॉक्युपेंसी सर्टिफिकेट की मांग करते हैं। यह गिरवी के लिए भी काम आता है।
3. अॉक्युपेंसी सर्टिफिकेट न होने की सूरत में पानी, बिजली और सीवेज कनेक्शन मिलने में भी परेशानी होती है।
4. अगर आपने एेसी बिल्डिंग में रहना शुरू कर दिया है, जिसका वैध अॉक्युपेंसी सर्टिफिकेट नहीं है तो आप भविष्य में फ्लैट नहीं बेच पाएंगे।
अगर बिल्डिंग का अॉक्युपेंसी सर्टिफिकेट न हो तो क्या करें?
आप बिल्डर को सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई करने का नोटिस देकर उसके एक महीने बाद कॉपी मालिकों को देने के लिए कह सकते हैं। अगर वह एेसा नहीं करता तो आप उसके खिलाफ कंज्यूमर फोरम में शिकायत दर्ज करा सकते हैं, ताकि वह बिल्डर को सर्टिफिकेट लेने का आदेश जारी करे। अगर इससे भी कुछ नहीं हो रहा तो आप कोर्ट में बिल्डर के खिलाफ रिट दाखिल कर सकते हैं।
इस मामले में लोकप्रिय फैसले में से एक है 'फकीर चंद गुलाटी बनाम उप्पल एजेंसी प्राइवेट लिमिटेड'। इस मामले में न तो मंजूर किए गए प्लान के तहत काम किया गया और न ही कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डर को दोषी पाया और टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह के कामों से न सिर्फ मंजूर किए प्लान में खलल पड़ता है, बल्कि बिल्डिंग में रहने वाले लोगों की जिंदगियां भी दांव पर लग जाती हैं। हालांकि स्थानीय निकायों में अच्छे इंजीनियर्स हैं, जो एेसे मामलों का ध्यान रखने के लिए जिम्मेदार हैं। लेकिन उन्होंने भी अपनी ड्यूटी ठीक तरह से नहीं निभाई। कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी न करना गैरकानूनी है और बिल्डर गलत काम करने के बाद बच नहीं सकता।
इसलिए अगर आप भविष्य में परेशानियां झेलना नहीं चाहते तो आपको अपने अधिकार और जिम्मेदारियों के बारे में मालूम होना चाहिए। जागरुक रहना स्मार्ट ग्राहक बनने की ओर पहला कदम है।