अजमेर शहर की सूरत बदलकर रख देगा किशनगढ़ एयरपोर्ट
May 20 2016 |
Sunita Mishra
साल 2013 में जयपुर मेट्रो अंडरग्राउंड सेक्शन की आधारशिला रखने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि उनकी सरकार का प्लान छोटे शहरों में 100 हवाई अड्डे विकसित करने का है। इसकी वजह है हवाई सफर करने वाले यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी। पूर्व प्रधानमंत्री के मन में पहला प्रोजेक्ट अजमेर में किशनगढ़ एयरपोर्ट को लेकर आया था। मीडिया से बातचीत में पूर्व पीएम ने कहा था, अजमेर एक पर्यटक स्थल है और यहां मशहूर सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है और पुष्कर में हिंदू भगवान ब्रह्मा का मंदिर है। इसके अलावा यह जगह मार्बल इंडस्ट्री के लिए भी जानी जाती है। नए एयरपोर्ट प्रोजेक्ट से इस जगह की आर्थिक स्थिति और मजबूत होगी।
पिछले साल इस प्रोजेक्ट के निर्माण का 85 प्रतिशत काम पूरा हो चुका था और बाकी का इस साल दिसंबर तक पूरा हो जाएगा। अगले साल जुलाई तक इस एयरपोर्ट से संचालन शुरू हो सकता है। निर्माण कार्य पूरा होने और संचालन शुरू होने के बीच के 7 महीने ब्यूरो अॉफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी और डायरेक्टोरेट जनरल अॉफ सिविल एविएशन से जरूरी सिक्योरिटी अप्रूवल लेने में बीतेंगे।
जानिए इस एयरपोर्ट से जुड़े कुछ फैक्ट्स:
शहर: 18वीं सदी में इस शहर का नाम किशनगढ़ रखा गया था। यह अपने पेंटिंग स्टाइल के लिए बहुत मशहूर है। इसे भारत की मार्बल सिटी भी कहा जाता है। यहां बेहद लोकप्रिय मंदिर हैं, जहां हर साल हजारों तीर्थयात्री आते हैं। इसलिए यह हैरानी की बात नहीं है कि अजमेर शहर के केंद्र से 25 किमी दूर और राष्ट्रीय राजमार्ग-8 पर स्थित इस एयरपोर्ट में यात्रियों को स्थानीय कलाकृतियों, पेटिंग्स और वाइट थीम की झलक दिखाई देगी। इसके अलावा इलाके के आसपास के दो हजार पेड़ एयरपोर्ट के पास ग्रीन कवर की देखभाल करेंगे।
अनुमानित लागत: एयरपोर्ट के पहले चरण में 161 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आएगी। 2,700 वर्ग मीटर की पैसेंजर टर्मिनल बिल्डिंग में 150 यात्रियों आ सकेंगे। इस एयरपोर्ट का रन वे दो हजार मीटर लंबा है, जिसमें 6 चेक इन काउंटर और सिक्योरिटी चेक यूनिट है। पार्किंग में 125 गाड़ियां खड़ी हो सकती हैं। छोटे विमानों को एयरपोर्ट दिन में संचालन की इजाजत देगा। कई एयरलाइंस कंपनियां दिल्ली और मुंबई से किशनगढ़ तक अपना संचालन शुरू करने के लिए कमर कस चुकी हैं।
-आकार और भूमि मुद्दे: साल 2013 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी। एयरपोर्ट बनाने के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी अॉफ इंडिया (AAI) को 441 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी। हालांकि राठौड़ की धाणी के ग्रामीणों ने मुआवजे को लेकर विरोध-प्रदर्शन भी किए थे। राज्य सरकार करीब 69 एकड़ भूमि का अधिग्रहण नहीं कर पाई थी। 4 किमी की बाउंड्री वॉल और अन्य निर्माण कार्यों को पूरा करने के लिए बाकी जमीन का अधिग्रहण होना जरूरी है। उम्मीद है कि राज्य प्रशासन जल्द ही मुआवजे से जुड़े मुद्दों को सुलझा लेगा।
-नाम: शुरुआती चरण में प्रस्तावित एयरपोर्ट के नाम को लेकर काफी मतभेद था। एक पक्ष सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के नाम की मांग कर रहा था, जबकि दूसरा इसका नाम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के नाम पर रखने को लेकर अड़ा था। हालांकि आखिर में तय हुआ कि शहर के संस्थापक और जोधपुर के राजा किशन सिंह के नाम पर एयरपोर्ट होगा।
ग्रीन एनर्जी: एयरपोर्ट को रोशन करने के लिए 100 मेगावॉट के सोलर पावर प्लांट का इस्तेमाल किया जाएगा। जल संचय प्रणाली पानी की जरूरतों को पूरा करेगी। इसके अलावा यहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाया जाएगा। राजस्थान में पानी की बहुत कमी है। इसलिए पानी को साफ कर फिर से इस्तेमाल करने की तकनीक जल्द ही शायद अन्य हवाई अड्डों पर भी देखी जा सकती है। इंडियन इंस्टिट्यूट अॉफ टेक्नोलॉजी, बॉम्बे को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने का काम सौंपा गया है।
अन्य एयरपोर्ट्स: राजस्थान में कई एेसे एयरपोर्ट्स हैं, जहां से संचालन होता है। जबकि कुछ हवाई अड्डे बंद पड़े हैं। जयपुर, जोधपुर और उदयपुर के एयरपोर्ट्स से विमानों का संचालन होता है, जबकि बीकानेर का नल एयरपोर्ट आर्मी बेस है और वहां से कमर्शियल अॉपरेशंस नहीं होते। कोटा और जैसलमेर के हवाई अड्डों से फ्लाइट्स नहीं उड़तीं।