RERA घर खरीददारों को पहुंचाएगा फायदा और बिल्डरों पर कसेगा लगाम, जानिए कैसे
April 20 2017 |
Sunita Mishra
1 मई से भारत में रियल एस्टेट रेग्युलेशन एंड डिवेलपमेंट एक्ट (RERA) 2016 लागू हो गया है। इसी साल अप्रैल में शहरी आवास और गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने इस कानून के बाकी बचे सेक्शन्स को भी नोटिफाई कर दिया था। पिछले साल 1 मई को सेक्शन 2, सेक्शन 20-39, सेक्शन 41-58, सेक्शन 71-78 और सेक्शन 81-92 को नोटिफाई किया गया था। इस कानून के तहत रियल एस्टेट डिवेलपर्स की जिम्मेदारियां और नियम उल्लंघन का परिणाम तय कर दिया गया है।
इस कानून के सेक्शन 40 में सेल अग्रीमेंट के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले डिवेलपर्स या घर खरीददारों के रियल एस्टेट अडवाइजरों को सजा देने की बात कही गई है। सेक्शन के मुताबिक अगर कोई प्रमोटर, अलॉटी या रियल एस्टेट एजेंट किसी अधिकारी, रेग्युलेटरी अथॉरिटी द्वारा लगाई गई पेनाल्टी या मुआवजा चुकाने में नाकाम रहता है तो इसकी वसूली उससे भूमि राजस्व के बकाए के रूप में की जाएगी।
आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय के नोटिफिकेशन के बाद रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डिवेलपमेंट) बिल, 2016 ने 1 मई को कानून का रूप ले लिया। इसी के साथ कानून की 92 धाराओं में से 69 लागू हो गईं। रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता और जवाबदेही तय करने के मकसद से लाए गए इस कानून को इसी साल मार्च में संसद से मंजूरी मिली थी। कानून के सेक्शन 84 के मुताबिक अब जमीनी स्तर पर नियम बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें अगले 6 महीने साथ मिलकर काम करेंगी।
संसद के दोनों सदनों-लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद एक बिल कानून की शक्ल लेता है। प्रॉपगाइड आपको इस कानून की कुछ अहम बातें बताने जा रहा है, जो इस सेक्टर को प्रभावित करेंगी।
चैप्टर 1: इसमें दो सेक्शन है, जिसमें रियल एस्टेट में इस्तेमाल होने वाले कई शब्दों का मतलब बताया गया है। सही मतलब न पता होने के कारण सभी सेक्टर के शेयरधारकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।
चैप्टर 2: यह सेक्शन 3 से शुरू होता है और दसवें सेक्शन तक जाता है। इसमें रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स की रजिस्ट्रेशन और एजेंट्स के बारे में बात की गई है। हालांकि रजिस्ट्रेशन तभी होगा, जब अथॉरिटी का गठन किया जाएगा। इसके लागू होने के बाद घर खरीददारों को काफी राहत मिलेगी, क्योंकि प्रोजेक्ट की सारी जानकारी सिर्फ एक क्लिक पर मौजूद होगी। रियल एस्टेट अडवाइजरों को भी अपनी बेहतर इमेज बनाने और प्रमुख शेयरधारकों के रूप में स्थापित होने का मौका मिलेगा।
चैप्टन-3 : इसमें प्रमोटर्स के काम और जिम्मेदारियों के बारे में बताया गया है। साथ ही यह भी लिखा है कि रियल एस्टेट डिवेलपिंग अथॉरिटी (RERA) के पास बिल्डरों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा और प्रोजेक्ट की पूरी जानकारी वेबसाइट पर डालनी होगी। जिन डिवेलपर्स का रिकॉर्ड अच्छा और छवि साफ है, उन्हें फायदा उठाने का पूरा मौका मिलेगा, क्योंकि गंभीर न रहने वाले बिल्डर्स को अॉपरेट करने नहीं दिया जाएगा।
चैप्टर 4 में केवल एक सेक्शन (18) है, जिसमें घर खरीदारों के लिए नियम और अधिकार बताए गए हैं। हालांकि उपभोक्ताओं को और सशक्त बनाने में जमीनी नियमों को बहुत लंबा सफर तय करना है।
चैप्टर 5 के सेक्शन 20 में लिखा है कि कानून के लागू होने की तारीख के एक वर्ष के भीतर RERA का गठन करना होगा। इसका मतलब है कि सभी राज्यों में 30 अप्रैल 2017 तक RERA को काम शुरू करना ही होगा। इस संस्था में सरकार द्वारा नियुक्त एक चेयरपर्सन होगा। इसके अलावा दो फुल टाइम सदस्य भी होंगे, जिनका कार्यकाल 5 वर्ष का होगा। सेक्शन 20 से 40 तक फैले इस चैप्टर में RERA की कई जिम्मेदारियों के बारे में बताया गया है।
चैप्टर 6: सेक्शन 41 और 42 में सेंट्रल अडवाइजरी काउंसिल और उसकी जिम्मेदारियों का जिक्र है। केंद्रीय शहरी मंत्री इस परिषद् के अध्यक्ष होते हैं। इसके अलावा रोटेशनल बेसिस पर केंद्रीय व राज्य सरकारों के मंत्रियों को इसका सदस्य बनाया जाता है। इस प्रक्रिया के कारण पूरे देश में राज्यों को भी अपनी बात कहने का अवसर मिलेगा। कानून को लागू करने में भी इस परिषद् का अहम किरदार होगा।
चैप्टर 7: इसके सेक्शन 43-58 में लिखा है कि लागू होने के एक साल के भीतर रियल एस्टेट अपीलीय ट्रिब्यूनल का गठन करना होगा। इसका मतलब है कि यह न्यायिक संस्था RERA के साथ ही अस्तित्व में आएगी। भारतीय कोर्ट पहले ही जमीन से जुड़े मामलों के बोझ तले दबे पड़े हैं। प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी केस लंबित न रहे। कानून में तय किया गया है कि किसी विवाद का निपटारा ट्रिब्यूनल को 60 दिनों के भीतर करना ही पड़ेगा।
चैप्टर 8 में सेक्शन 59 से 72 का जिक्र है, जिसमें अपराध, पेनाल्टी और न्यायिक निर्णय के बारे में बताया गया है। उदाहरण के तौर पर सेक्शन 59 में लिखा है कि अगर बिल्डर RERA में रजिस्ट्रेशन नहीं कराता तो उसे पूरे प्रोजेक्ट की लागत की 10 प्रतिशत पेनाल्टी भरनी होगी। नियमों का पालन नहीं करने के मामले में डिवेलपर को 10 फीसदी पेनाल्टी के अलावा जेल भी काटनी पड़ सकती है। चूक के लिए डिवेलपर्स पर चार्ज लगाने के अलावा कानून में गलत काम करने वाले अडवाइजरों पर भी दंड का प्रावधान है। इतना ही नहीं अधिनियम के तहत निर्धारित आदेशों का पालन नहीं करने पर घर खरीददारों को भी सजा दी जाएगी।
एक्ट के चैप्टर 9 (सेक्शन 73-78) में फाइनेंस, अॉडिट और रिपोर्ट्स के बारे में बताया गया है। चैप्टर 10 (सेक्शन 79-92) में अन्य मुद्दों का जिक्र है।